wedding anniversary

विवाह मुहूर्त – नाड़ी ज्योतिष | Wedding anniversary – nadi jyotish

 

► क्यों किया जाता है विवाह?
संसार में संतान को बिना विवाह किये भी पैदा किया जा सकता है,लेकिन संसारी मर्यादा का हनन न हो,आने वाली संतान को इस बात का भान हो कि वह अमुक समाज की वंश प्रणाली का हिस्सा है,अपने पिता के स्वभाव के अनुसार कार्य और सामाजिक प्रणाली को चलाने की क्षमता उसके अन्दर अपने आप पता लगे,माता अपने पुत्र और पुत्रियों के साथ सम्मान से रह सके,पीछे चलने वाला समाज किसी भी प्रकार के सुख दुख में शामिल हो सके,किसी प्रकार के अक्समात दुख में समाज सहयोग कर सके,अपने समाज और कुल को आगे बढाने के लिये पैदा होने वाला जातक चिंतित हो सके,अपने पुत्र या पुत्री को पाल पोष कर उच्च से उच्च स्थान देने की हिम्मत माता पिता के अन्दर चल सके आदि कारणो के लिये विवाह किया जाता है। अगर बिना विवाह के संतान को पैदा किया जायेगा तो वह अपने को नितांत अकेला समझकर दूसरों को भी हेय द्रिष्टि से देखेगा,उसे मा और बहिन तथा दूसरी स्त्रियों के अन्दर भेद नही मिलेगा,इन कारणो से समाज में अनैतिकता का बोलबाला हो जायेगा,तथा मनुष्य और पशु के अन्दर भेद करना मुश्किल हो जायेगा।

► विवाह मुहूर्त क्या है ?
सभी ग्रह अपनी अपनी उपस्थिति जीवित अवस्था में बताते है,यथा ब्रह्माण्डे,तथा पिण्डे के कथन के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति सभी ग्रहों से पूर्ण है,संसार में पिता के रूप में सूर्य माता के रूप में चन्द्र भाई के और पति के रूप में मंगल बहिन बुआ और बेटी के रूप में बुध धर्म और भाग्य के प्रदाता तथा शिक्षा को देने वाले गुरु के रूप में बृहस्पति,पत्नी और भौतिक सम्पन्नता के रूप में शुक्र,जमीन जायदाद कार्य तथा कामकरने वाले लोगों के रूप में शनि ससुराल और दूर के सम्बन्धियों के रूप में राहु,पुत्र भान्जा साले आदि के रूप में केतु जीवित रूप में माना जाते है,इन सभी ग्रहों के अनुसार व्यक्ति के लिये विवाह मुहूर्त बनाये गये है,जिस प्रकार की प्रकृति व्यक्ति के अन्दर होती है उसी प्रकार के ग्रह की शक्ति के समय में विवाह किया जाता है,जब स्त्री और पुरुष के आपसी सम्बन्धों के लिये विवाह मिलान किया जाता है,तथा दोनों के ग्रहों को राशि स्वामियों के अनुसार समय को तय किया जाता है तभी विवाह किया जाता है,और उसी ग्रह के नक्षत्र के समय में लगन और समय निकाल कर विवाह किया जाता है,इस प्रकार से उन ग्रहों की शक्तियो का आशीर्वाद मिलने पर विवाह करने से जीवन सुचारु रूप से किया जाता है,अगर बिना मुहूर्त और प्रकृति के मिलाये विवाह कर दिया जाता है तो कुछ समय में शारीरिक संतुष्टि के बाद विवाह विच्छेद आदि के कारणों,आत्म हत्या और कई तरह के दोषों से पूर्ण हो जाता है,तथा एक परिवार में पुरुष तो आराम से जिन्दा रह लेता है,लेकिन स्त्री की दशा सोचनीय हो जाती है,समाज में भ्रष्टाचार का बोलबाला हो जाता है,अधिक से अधिक काम संतुष्टि के लिये स्त्री और पुरुष दोनो ही चरित्र से नीचे गिर जाते है,तामसी भोजन और शराब कबाब भूत के भोजन से खुद को बरबाद करने के बाद दुनिया से कूच कर जाते है।

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