muslims born in hindu's home

हिन्दू के घर जन्म लिया मुसलमान ने – पुनर्जन्म का रहस्य | Muslims born in Hindu’s home – punarjanm ka rahasya

 

यह घटना 1970 की है, जब गाजियाबाद में ब्रजबिहारी लाल सिंघला नाम के एक आयकर अधिकारी पोस्टेड थे। उनका छोटा बेटा अचानक अपने परिजनों से कहने लगा कि वह पिछले जन्म में मुसलमान था और लखनऊ का एक बड़ा रईस हुआ करता था। घरवालों को यह बात सुनकर आश्चर्य हुआ, क्योंकि इस्लाम में पूर्व जन्म की कोई मान्यता नहीं है। उस बच्चे का नाम सुभाषचन्द्र रखा गया, लेकिन घर के लोग उसे बाले के नाम से बुलाते थे।

इस लड़के को पूर्व जन्म की घटनाएं याद आने का किस्सा भी दिलचस्प है। एक दिन उस लड़के के बड़े भाई का जन्मदिन था। इस अवसर पर घरवालों ने उसे कैरम बोर्ड उपहार स्वरूप दिया। इसी कैरम बोर्ड पर दोनों भाई एक दिन खले रहे थे कि अचानक दोनों के बीच किसी बात पर झगड़ा हो गया।

इस पर बाले ने कैरम बोर्ड को उठाकर एक तरफ फेंक दिया और बोला कि ‘मैं कोई गरीब नहीं हूं, रख अपना कैरम बोर्ड मेरे लखनऊ वाले घर में नब्बे हजार रुपए गड़े हुए हैं। मैं उनसे हजारों कैरम बोर्ड खरीद सकता हूं।’ यह सुनकर लोगों ने उसके इस व्यवहार को बाल सुलभ मानते हुए नजर अंदाज कर दिया।

इसके बाद भी बाले अपनी पूर्व जन्म की घटनाएं बताने लगा। जब उससे पूछा गया कि पूर्व जन्म में वह कौन था? इस पर बाले ने बताया कि उसका पूर्व जन्म का नाम जान मोहम्मद खान था और वह बहुत राईस था। लखनऊ में वह कैसरबाग में रहा करता था। उसके ससुर दिलदार खां बहुत बड़े रईस थे, उनकी सिर्फ लड़कियां ही लड़कियां थीं। शादी के बाद ससुर ने उसे घर जमाई बना लिया और उसे अपनी संपत्ति का मालिक बना दिया।

आगे उसने बताया कि उसकी बेगम का नाम शाफियाखानम था। उनसे उसके चार बेटे और दो लडकियां हुईं। दो लड़के उस्मानिया यूनिवर्सिटी में पढ़ा करते थे। सबसे बड़े लड़के का नाम अब्दुल गफूर खां था। बड़ी बेटी लखनऊ में ब्याही थी और छोटी वाली का ब्याह इलाहबाद में हुआ था। आड़े वक़्त के लिए 90 हजार रूपए एक गुप्त स्थान पर गाड़कर रखे थे। इनकम टैक्स के डर से अपनी बीवी शाफीयाखानम के नाम से स्टेट बैंक में अकाउंट खोल रखा था। उसके पास तिमंजिला मकान और बढ़िया कार भी थी। वह 5 वक़्त का नमाजी था।

यह पूछने पर कि जान मोहम्मद खान की मौत कैसे हुई तो उसने बताया कि वह तिमंजिले माकन की छत पर खड़ा था, तभी एक बन्दर ने उसके ऊपर हमला कर दिया। बन्दर से बचने के चक्कर में वह तिमंजिले मकान से गिर पड़ा और मौत हो गई।

उसके बाद धीरे-धीरे बाले घर में वैसे ही नमाज पढ़ने लगा जैसे कि मौलवी नमाज पढ़ते हैं। उसका यह रुख देखकर लोग उसे बाले खां बुलाने लगे। जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगा, अपनी बीवी शाफियाखानम के नाम पत्र लिखवाने लगा। जिसे घरवाले लिखते तो थे, लेकिन उस पते पर पोस्ट नहीं करते थे। उधर बाले पत्र लिखने के बाद जवाब का बेसब्री से इन्तजार किया करता था।

घरवालों ने जब बाले द्वारा गए विवरण गाजियाबाद से लखनऊ जाकर पता कगाया तो आश्चर्यजनक तरीके से सभी बातें सच साबित हुईं।

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