celibacy

ब्रह्मचर्य विज्ञान – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Celibacy – brahmacharya vigyan

 

ब्रह्मचर्य के दो अर्थ होते हैं। जो ज़्यादातर लोग जानते हैं वो ये होता है कि संभोग(सेक्स) नहीं करना और ये बड़ी तुच्छ बात है। तुमने तो ब्रह्म को बिल्कुल लंगोटे से बांध दिया है। ब्रह्म को क्या पड़ी है कि तुम सेक्स कर रहे हो या नहीं।

ब्रह्म का वास्तविक अर्थ है, ब्रह्म में आचरण करना। और ब्रह्म माने बंटा-बंटा नहीं रहना, पूरा रहना। ब्रह्म का मतलब है, जो कुछ हो सकते हो, पूरे तरीके से हो जाओ, छोटे नहीं रह जाओ। ‘ब्रह्म’ शब्द आया है ‘वृहद’ से, ‘वृहद’ माने विस्तार, बड़ा होना।

अहंकार तुम्हें छोटा बनाता है, सीमित बनाता है।ब्रह्मचर्य का अर्थ है बड़ा, ब्रह्मचर्य का अर्थ है मन छोटा नहीं है, संकुचित नहीं है, बंटा हुआ नहीं है। मन बहुत बड़ा है, सब समाया हुआ है उसमें। मैंने भी अपने आप को छोटा सा नहीं बना रखा है कि मेरी तो पहचान बस इतनी है कि मैं इसका बेटा हूँ, मैं इस जगह पढ़ता हूँ, मैं इस जगह रहता हूँ, यही हूँ मैं बस। मैं बड़ा हूँ और यही है ब्रह्मचर्य का अर्थ। ब्रह्मचर्य समझ लो अहंकार से विपरीत है।

ब्रह्मचर्य समझ लो अहंकार से मुक्ति है। आज़ादी ही ब्रह्मचर्य है। अतीत और भविष्य से मुक्ति ब्रह्मचर्य है, दूसरों के प्रभावों से मुक्ति ब्रह्मचर्य है।

► ब्रह्मचर्य विश्‍लेषण
ब्रह्मचर्य यौन विचारों और इच्छाओं से पूर्ण स्वतंत्रता है| यह विचार, वचन और कर्म तथा सभी इंद्रियों का नियंत्रण है| सख्त संयम सिर्फ संभोग से नहीं बल्कि कामुक अभिव्यक्तियों से, हस्तमैथुन से, समलैंगिक कृत्यों से और सभी विकृत यौन व्यवहारों से होना चाहिए|

सभी प्राणीयों में आहार, भय, मैथुन और परिग्रह की संज्ञा अर्थात् भाव अनादि काल से इतना प्रबल है कि इन्हीं चार भाव के अनुकूल किसी भी विचार को वह तुरंत स्वीकार कर लेता है| अतएव ब्रह्मचर्य के बारे में किये गये अनुसंधान जितने जल्दी से आचरण में नहीं आते उससे ज्यादा जल्दी से सिर्फ कहेजाने वाले सेक्सोलॉजिस्टों के निष्कर्ष तथा फ़्रोइड जैसे मानसशास्त्रियों के निष्कर्ष स्वीकृत हो पाते हैं| हालॉंकि उनके ये अनुसंधान बिल्कुल तथ्यहीन नहीं है तथापि व केवल सिक्के की एक ही बाजू है | ब्रह्मचर्य के लिये फ़्रोइड की अपनी मान्यता के अनुसार वीर्य तो महान शक्ति है| उसी शक्ति का सदुपयोग करना चाहिये| ब्रह्मचर्य का पालन करके मानसिक व बौद्धिक शक्ति बढानी चाहिये| अतः सिक्के की दूसरी बाजू का भी विचार करना चाहिये|

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