education to live a moderate life

संयमी जीवन जीने की शिक्षा – ब्रह्मचर्य विज्ञान | Education to live a moderate life – brahmacharya vigyan

 

विद्युत शक्ति के साथ खिलवाड़ किया जाएँ तो वो झटका मार देती है परन्तु यदि नियन्त्रित कर लिया जाए तो वह वरदान बन जाती है यह बात वासना एवं ब्रह्मचर्य के विषय में भी स्टीक बैठती है इसलिए ऋषि पतंजलि समाज को संयमी जीवन जीने की शिक्षा देते है।

यद्यपि भारतीय धर्मग्रन्थों में ब्रह्मचर्य पालन की बड़ी (सुंदर-जीवन by माधव पण्डित) महिमा बखान की गयी है। परंतु अध्यात्म द्वारा नियन्त्रित जीवन में कामेच्छा की उचित भूमिका को अस्वीकार नहीं किया गया है। उसकी उचित माँग स्वीकार की गयी है किंतु उसे आवश्यकता से अधिक महत्व देने से इंकार किया गया है। जब व्यक्ति आध्यात्मिक परिपक्वता प्राप्त कर लेता है तब यौन-आकर्षण स्वयं ही विलीन हो जाता है उसका निग्रह करने के लिए मनुष्य को प्रयत्न नहीं करना पड़ता, वह पके फल की भाँति झड़ जाता है। इन विषयों में मनुष्य को अब और रूचि नहीं रह जाती। समस्या केवल तभी होती है जब मनुष्य चाहे सकारात्मक, चाहे नकारात्मक रूप में कामेच्छा में तल्लीन या उससे ग्रस्त होता है। दोनों ही परिस्थितियों में मनुष्य यौन चिंतन करता है व ऊर्जा का अपव्यय करता रहता है।

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