karkotak kalsarp yoga

कर्कोटक कालसर्प योग – कालसर्प दोष | Karkotak Kalsarp Yoga – kaal sarp dosh

 

कर्कोटक कालसर्प योग

● योग: केतु दूसरे स्थान में और राहु अष्टम स्थान में तथा इसके बीच सारे ग्रह आ जाये तो कर्कोटक नाम कालसर्प योग बनता है.

● प्रभाव: ऐसे जातकों के भाग्योदय में इस योग की वजह से कुछ रुकावटें अवश्य आती हैं. नौकरी मिलने व पदोन्नति होने में भी कठिनाइयां आती हैं. कभी-कभी तो उन्हें बड़े ओहदे से छोटे ओहदे पर काम करनेका भी दंड भुगतना पड़ता है.

● उपाय: हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ करें और पांच मंगलवार का व्रत करते हुए हनुमान जी को चमेली के तेल में घुला सिंदूर व बूंदी के लड्डू चढ़ाएं.

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