► नाड़ियाँ
1.इड़ा (नाभि से बाईं नासिका), 2. पिंगला (नाभि से दाईं नासिका),3. सुषुम्ना (नाभि से मध्य में), 4.शंखिनी(नाभि से गुदा), 5. कृकल (नाभि से लिंग तक), 6.पूषा (नाभि से दायाँ कान), 7.जसनी (नाभि से बाया कान), 8.गंधारी (नाभि से बायीं आँख), 9.हस्तिनी (नाभि से दाईं आँख), 10.लम्बिका (नाभि से जीभ)।
► अस्वस्थ होने की पहचान
जिनका शरीर भारी है, कफ, पित्त, आदि की शिकायत है या जो आलस्य से ग्रस्त है तथा जिसमें किसी भी कार्य के प्रति अरुचि हैं उनकी नाड़ी अस्वस्थ मानी जाती है। इसके अलावा जो संभोग के क्षणों में भी स्वयं को अक्षम पाता है या जो सदा स्वयं को कमजोर महसूस करता है आदि। नाड़ियों के कमजोर रहने से व्यक्ति अन्य कई रोगों से ग्रस्त होने लगता है।
► अस्वस्थ होने का कारण
वायु प्रदूषण, शराब का सेवन, अन्य किसी प्रकार का नशा, अनियमित खान पान, क्रोध, अनिंद्रा, तनाव और अत्यधिक काम और अत्यधिक संभोग।
► स्वस्थ की पहचान
यदि आप हल्का और स्वस्थ महसूस करते हैं या आप स्फूर्तिवान हो तो यह माना जाता है कि नाड़ियाँ अधिक गंदी नहीं हैं। शुद्धि की पहचान यह भी है कि शरीर का पतला व हल्का होना, शरीर व चेहरे की क्रांति बढ़ जाना, आरोग्य बना रहना, स्वयं को शक्तिशाली महसूस करना, पाचन क्रिया हमेशा ठीक रहना, ज्यादा से ज्यादा वायु अंदर लेकर कुम्भक लगाकर ज्यादा समय तक रोककर रखना आदि। इसके अलावा आप कोई सा भी शारीरिक या मानसिक मेहनत का कार्य कर रहे हैं तो कभी भी आपको थकान महसूस नहीं होगी।
► कैसे रखें नाड़ियों को स्वस्थ
सामान्यत: नाड़ियाँ दो तरीके से स्वस्थ्य, मजबूत और हष्ट-पुष्ट बनी रहती है- 1.यौगिक आहार और 2.प्राणायाम।
► यौगिक आहार
यौगिक आहार में गेहूँ, चावल, जौ जैसे सुंदर अन्न। दूध, घी, खाण्ड, मक्खन, मिसरी, मधु जैसे फल-दूध। जीवन्ती, बथुआ, चौलाई, मेघनाद एवं पुनर्नवा जैसे पाँच प्रकार के शाक। मूँग, हरा चना आदि। फल और फलों का ज्यूस ज्यादा लाभदायक है।
► नाड़ी शुद्धि के लाभ
स्वस्थ और मजबूत नाड़ियाँ मजबूत शरीर और लम्बी उम्र की पहचान है। इससे उम्र बढ़ने के बाद भी जवानी बरकरार रहती है। सदा स्फूर्ति और जोश कायम रहता है। मजबूत नाड़ियों में रक्त संचार जब सुचारू रूप से चलता है तो रक्त संबंधी किसी भी प्रकार का रोग नहीं होता। हृदय और फेंफड़ा मजबूत बना रहता है। श्वास नलिकाओं से भरपूर वायु के आवागमन से दिमाग और पेट की गर्मी छँटकर दोनों स्वस्थ बने रहते हैं। पाचन क्रिया सही रहती है और संभोग क्रिया में भी लाभ मिलता है।