tulsidas was the reincarnation of valmiki

तुलसीदास थे वाल्मीकि का पुनर्जन्म – पुनर्जन्म का रहस्य | Tulsidas was the reincarnation of Valmiki – punarjanm ka rahasya

 

रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास संस्कृत में रामायण के रचयिता ऋषि वाल्मीकि का ही पुनर्जन्म थे। ये विचार सनाढ्य समाज साहित्य मण्डल के तत्वावधान में हिरण मगरी सेक्टर 4 स्थित ब्राह्मण समाजसेवा समिति भवन में सनाढ्य गौरव राष्ट्र संत गोस्वामी तुलसीदास की 502 वीं जयंती पर विशिष्ट अतिथि पं. गंगाधर शास्त्री ने व्यक्त किए।

अध्यक्षता अम्बालाल सनाढ्य ने की। मुख्य अतिथि जिला उद्योग केन्द्र की महानिदेशक अरुणा शर्मा थी। समिति अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद सनाढ्य ने अतिथियों का स्वागत किया। प्रबंध सम्पादक डॉ. अनिल शर्मा ने बताया कि इस अवसर पर कवि भवानी षंकर गौड़ ने गोस्वामी तुलसीदास का जीवनवृत काव्य रुप में गीत गाकर व्यक्त किया। अरुणा शर्मा ने घर-घर पढे़ जाने वाले तुलसी रचित काव्य में वर्णित संस्कारो को आत्मसात करने व महिलाओं को सामाजिक गतिविधियों में बढ़-चढ़ के भाग लेने का आव्हान किया। प्रत्युष पत्रिका के संपादक पंकज शर्मा ने सनाढ्य समाज के युवाओं में साहित्यिक अभिरुचि के विकास पर बल दिया। आदिगौड़-सनाढ्य समाज के अध्यक्ष सत्यनारायण गौड़ ने दिसम्बर में समाज के परिचय सम्मेलन की घोषणा की । इस अवसर पर योगाचार्य डॉ. नरेन्द्र सनाढ्य, अणुव्रत संस्थान के पूर्व निदेशक बालमुकुन्द सनाढ्य, नाथूलाल सनाढ्य, रमेशचन्द्र सनाढ्य, उषानाथ सनाढ्य, प्रकाश शर्मा, मनीष सनाढ्य, षिक्षक संघ प्रदेश मंत्री मीनाक्षी षर्मा, आशा शर्मा एवं सुषमा शर्मा उपस्थित थे।

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