आज कल के मनोचिकित्सक और यौन विज्ञान के ज्ञाता जो समाज को अनैतिकता, मुक्त साहचर्य (Free Sex) और अनियंत्रित विकारी सुख भोगने का उपदेश देते हैं उनको डॉ. निकोलस की बात अवश्य समझनी चाहिए। डॉ. निकोलस कहते हैं- “वीर्य को पानी की भाँति बहाने वाले आज कल के अविवेकी युवकों के शरीर को भयंकर रोग इस प्रकार घेर लेते हैं कि डॉक्टर की शरण में जाने पर भी उनका उद्धार नहीं होता और अंत में बड़ी कठिन रोमांचकारी विपत्तियों का सामना करने के बाद असमय ही उन अभागों का महाविनाश हो जाता है।”