यदि मंगल नीच का है, पाप प्रभाव में है, बृहस्पति भी कमजोर है तो बच्चा उत्पाती, क्रोधी होगा, तोड़फोड़ करेगा, चोरी की भी आदत हो सकती है (विशेषत: जब मंगल लग्न या द्वितीय भाव को प्रभावित करें)। ऐसे बच्चों की सतत काउंसलिंग करें, अच्छे संस्कार दें, मंगल का दान करें।
राहु का लग्न पर प्रभाव झूठ बोलने व येनकेन प्रकारेण अपना स्वार्थ सिद्ध करने की आदत बताता है। चंद्र-बृहस्पति कमजोर होने पर यह राहु गलत संगत, अपराधों में फँसा सकता है। ऐसे बच्चों को अकेलेपन से बचाएँ। सामाजिक होना, चीजें बाँटना व खुलकर हँसना सिखाएँ। खर्च पर नियंत्रण करें। सरस्वती की आराधना कराएँ।
शनि का प्रभाव हीन मानसिकता, गालीगलौज, लड़ाई-झगड़ा, नशे को दिखाता है। मंगल के प्रभाव में आया शनि (लग्न में) अपराधी, परपीड़क बना देता है। पुलिस केस भी हो सकते हैं। नियम तोड़ने व रिस्क लेने में रुचि होती है। ऐसे बच्चों को हनुमानजी व शिव की आराधना कराएँ। इन पर नजर रखें। मित्रों का चयन सावधानी से करें। अति विश्वास न करें।
शुक्र की खराब स्थिति बच्चों को शराब, सिगरेट का शौकीन बनाती है। कामुकता भी इससे आती है। ये बच्चे विपरीत लिंग में अधिक रुचि लेते हैं। इन बच्चों की परवरिश बड़ी चतुराई से करना चाहिए। इन्हें अच्छे गुरु के पास भेजें, अच्छी पुस्तकें पढ़ने को दें। संगीत, चित्रकला में भेजें और फालतू वक्त न बिताने दें। मित्रों पर भी नजर रखें। टीवी, कम्प्यूटर के साथ ज्यादा समय न बिताने दें।
बच्चों में सुसंस्कार डालने के लिए घर के माहौल का संस्कारित होना जरूरी है। अच्छे घर में सभी ग्रहों को बल मिलता है, अत: घर में नियमित पूजा-अर्चना, संवाद, हँसी-मजाक आदि नियमित करें। कलह-क्लेश से बचें।