कुंडली में महापदम् कालसर्प का निर्माण तब होता है जब राहू छठे घर में, केतु बारहवें घर में और बाकि के सभी गृह इन दोनों के मध्य स्थित हो ! महापदम् कालसर्प दोष जातक के जीवन में नौकरी, पेशा, बीमारी, खर्चा, जेल यात्रा जैसी गंभीर समस्याओं को जन्म देता है ! जातक जीवन भर नौकरी पेशा बदलता रहता है क्योकि उसके सम्बन्ध अपने सहकर्मियों से हमेशा ख़राब रहते है ! हमेशा किसी न किसी सरकारी और अदालती कायवाही में फसकर जेल यात्रा तक करनी पढ़ सकती है ! तरह तरह की बिमारियों के कारण जातक को आये दिन अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ते है ! इस प्रकार महापदम् काल सर्प दोष जातक का जीना दुश्वार कर देता है !
महापद्म कालसर्प में राहु उस घर में होता है जिससे शत्रु, रोग, प्रतियोगिता एवं मातृ पक्ष का विचार किया जाता है तथा केतु उस भाव में होता है जिससे जिन्दग़ी की आखिरी मंजिल, व्यय तथा यात्रा का विचार किया जाता है. इन दोनों ग्रहों की इस स्थिति के कारण व्यक्ति को स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक रहने की जरूरत होती है क्योंकि, स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव बना रहता है. दवाईयों एवं चिकित्सा मद में धन खर्च करना पड़ता है. इस दोष के प्रभाव से अचानक धन व्यय की संभावना रहती है. कुछ ऐसी परिस्थिति बन सकती है जिसके कारण व्यक्ति अदालती मामलों में उलझ सकता है. इस वजह से उसे काफी धन भी खर्च करना पड़ता है.
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार इस दोष से प्रभावित व्यक्ति का काफी समय यात्रा में व्यतीत होता है जिससे उसकी घरेलू जिन्दगी पर असर पड़ता है. व्यक्ति को सुख की कमी महसूस होती है तथा मानसिक अशांति एवं निराशाओं में घिरा होता है. मामा की तरफ से सहयोग में कमी आती है तथा राहु की दशा एवं अन्तर्दशा के समय इनके मामा को कष्ट उठाना पड़ता है. वृद्धावस्था में इन्हें तकलीफ होती है.
इस दोष की शांति के लिए श्रावण मास में 30 दिन तक दूध एवं जल से शिव जी का अभिषेक करना चाहिए. इस मास में कालसर्प दोष शांति करवाना भी लाभप्रद होता है. पितरों के नाम से दिया गया दान कालसर्प दोष की पीड़ा को कम करने के लिए अच्छा उपाय माना गया है. चांदी से निर्मित सर्पकार अंगूठी अथवा गोमेद रत्न पहनने से महापद्म कालसर्प दोष में राहत मिलती है. महापद्म कालसर्प दोष की शांति के लिए श्रावण मास में किसी योग्य पंण्डित से पूजा एवं हवन कर सकते हैं.