सुख स्मृधी पे ग्रहण होता है गृह कलेश क्यू के घर में तनाव पूर्ण महोल ही प्रमथिक होता इसके साथ ही यदि आपका उचधिकारी आपके अनुकूल नहीं है | या आपके बच्चे या आपकी पत्नी आपके अनुकूल न हो तो भी जीवन में उदासीनता घर कर जाती है |यह साधना एक अद्भुत साधना है जो के साधक को ऐसा दिव्य स्मोहन देती है जिस से उसके कार्य सहज ही होने लगते है लोग उसकी बात का आदर करते है उसकी वाणी में अद्भुत प्रभाव आ जाता है छोटे बड़े सभ उसको इज़त देते है | वह अपने आस पास के महोल को और लोगो को अपने अनुकूल रखने और परिचित जा अपरिचित व्यक्ति के साथ मधुर संबंध बनाने और अपने व्यक्तिगत जीवन की आ रही अनेक स्मस्याओ को दूर करने में सक्षम हो जाता है |
विधि –
१. यह साधना 11 दिन की है | इस में हर रोज 11 माला जप अनिवर्य है |
२. इस में आसन पीले रंग का लेना है और आपकी दिशा उतर की तरफ मुख रहेगा |
३. देवी भगवती जा ज्वालामालनी का चित्र स्थाप्त करे | चित्र का पूजन धूप दीप नवेद पुष्प अक्षत फल आदि से करे | भोग में आप किसी भी तरह की मिठाई इस्तेमाल कर सकते है | एक पनि वाले नारियल को तिलक कर मौली बांध कर देवी माँ को अर्पित करे |
४. फिर मूँगे की माला से निम्न मंत्र की ११ माला ११ दिन तक करे |
५. ११ दिन के बाद सभी पुजा की हुई समगरी जल प्रवाह करदे | फल आदि प्रसाद अपने परिवार में बाँट दे |
६. गुरु पूजन और गणेश पूजन हर साधना में अनवर्य होता है इस बात को हमेशा याद रखे |
मंत्र –
|| ॐ नमो आकर्षिनी ज्वाला मालनी देव्यै स्वाहा ||