अपने से विपरीत कार्य करने वाले को प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष कार्य करने के लिए प्रेरित करने की क्रिया को वशीकरण कहते है। यह यंत्र स्त्री,पुरुष, वृद्ध बालक, राजा, मंत्री, सभी तरह के लोगों को आकर्षित करता है। और यंत्र धारी को वांछित सफलता प्रदान करता है।
अभिचार कर्म से अच्छा है कि शत्रु को वशीकृत कर लिया जावे। इससे प्रथम लाभ तो यह कि दुष्टजन में सुधार आएगा, द्वितीय यह कि कर्ता किसी दोष का शिकार भी नहीं होगा। यह मन्त्र भी भगवान वज्रांग अर्थात् हनुमान जी से सम्बन्धित है।
इस वशीकरण यं़त्र से साधक इस जगत में सर्वप्रिय लोकप्रिय हो जाता है वह जिस व्यक्ति से मिलता है वह उससे प्रभावित हुये विना नहीं रह सकता। वशीकरण यंत्र मुख्यतः माँ कामाख्या का ध्यान करते हुए एवं उन्हीं का मंत्र जप करते हुये इसे यंत्र को सिद्ध किया जाता है और उपयोग में लाया जाता है।
यंत्र का उपयोग
जब पति कुमार्गगामी हो जाए और उसके सुधार के सारे बाह्य प्रयास असफल हो जाएँ तो पत्नी को ऐसे प्रयोगों के माध्यम से पराँम्बा की शरण लेनी चाहिए।
इस यंत्र का प्रयोग समाज के किसी भी स्त्री, पुरुष पर किया जा सकता है जब पति-पत्नी के आपसी विवाद में सामान्जस कम हो जाये तो ऐसी स्थिति में इस यंत्र का उपयोग अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है।