एलर्जी कई प्रकार की होती हैं। इस तरह के सभी रोग परेशान करने वाले होते हैं। इन रोगों का यदि ठीक समय पर इलाज न किया गया, तो परेशानी बढ़ जाती है। त्वचा के कुछ रोग ऐसे होते हैं, जो अधिक पसीना आने की जगह पर होते हैं दाद या खुजली। परंतु मुख्य रूप से दाद, खाज और कुष्ठ रोग मुख्य हैं। इनके पास दूसरे लोग बैठने से घबराते हैं। परंतु इतना परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। इन रोगों में ज्यादातर साफ सफाई रखने की जरूरत होती है। वरना ये खुद आपके ही शरीर पर जल्द से जल्द फैल सकते हैं। तथा आपके द्वारा इस्तेमाल की गई चीजें अगर दूसरे लोग इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें भी यह रोग लग सकता है। ये रोग रक्त की अशुद्धि से भी होता है। एक्जिमा, दाद, खुजली हो जाये तो उस स्थान का उपचार करें। ये रोग अधिकतर बरसात में होता है। जो बिगड़ जाने पर जल्दी ठीक नहीं होता है।
उपाचार –
फिटकरी के पानी से प्रभावित स्थान को धोकर साफ करें।
उसपर कपूर सरसों का तेल लगाते रहें।
आंवले की गुली जलाकर राख कर लें उसमें एक चुटकी फिटकरी,
नारियल का तेल मिलाकर इसका पेस्ट उस स्थान पर लगाते
रहें।
एक विकार दूर करने के लिये खट्टी चीजें, चीबी, मिर्च, मसाले से दूर रहें।
जब तक उपलब्ध हो गाजर का रस पियें दाद में।
विटामिन ए की कमी से त्वचा शुष्क होती है। ये शुष्कता सर्दियों में अधिक बढ़ जाती है। इस कारण सर्दियों में गाजर का रस पियें ये विटामिन ए का भरपूर स्त्रोत है।
चुकंदर के पत्तों का रस, नींबू का रस मिलाकर लगायें दाद ठीक होगा।
गाजर व खीरे का रस बराबर-बराबर लेकर चर्म रोग पर दिन में चार बार लगायें।
चर्म रोग कैसा भी हो उस स्थान को नींबू पानी से धोते रहें लाभ होगा। रोज सुबह नींबू पानी पियें लाभ होगा।
नींबू में फिटकरी भरकर पीड़ित स्थान पर रगड़े लाभ होगा।
चंदन का बूरा, नींबू का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पेष्ट बनाऐं व दाद, खुजली पर लगायें।
दाद होने पर नीला थोथा, फिटकरी दोनों को आग में भूनकर पीस लें फिर नींबू निचोड़कर लेप बनाऐं और दाद पर लगायें पुराना दाद भी ठीक हो जायेगा।
दाद पर जायफल, गंधक, सुहागा को नींबू के रस में रगड़कर लगाने से लाभ होगा।
दाद व खाज के रोगी, उबले नींबू का रस, शहद, अजवाइन के साथ रोज सुबह शाम पियें। दाद खाज में आराम होगा।
नींबू के रस में इमली का बीज पीसकर लगाने से दाद मिटता है।
पिसा सुहागा नींबू का रस मिलाकर लेप बनाऐं तथा दाद को खुजला कर उस पर लेप करें।
दिन में चार बार दाद को खुजलाकर उस पर नींबू रगड़ें।
सूखें सिंघाड़े को नींबू के रस घिसें इसे दाद पर लगायें पहले तो थोड़ी जलन होगी फिर ठंडक पड़ जायेगी इससे दाद ठीक होगा।
तुलसी के पत्तों को नींबू के साथ पीसें यानी चटनी जैसा बना लें इसे 15 दिन तक लगातार लगायें। दाद ठीक होगा।
प्याज का बीज नींबू के रस के साथ पीस लें फिर रोज दाद पर करीब दो माह तक लगायें दाद ठीक होगा।
नहाते समय उस स्थान पर साबुन न लगायें। पानी में नींबू का रस डालकर नहायें। दाद फैलने का डर नहीं रहेगा।
पत्ता गोभी, चने के आटे का सेवन करें। नीम का लेप लगायें। नीम का शर्बत पियें थोड़ी मात्रा में।
प्याज पानी में उबालकर प्रभावित स्थान पर लगायें। कैसा भी रोग होगा ठीक हो जायेगा। लंम्बे समय तक लगाये।
प्याज के बीज को पीसकर गोमूत्र में मिलाकर दाद वाले हिस्से पर लगायें। प्याज भी खायें।
बड़ी हरड़ को सिरके में घिसकर लगाने से दाद ठीक होगा। ठीक होने तक लगायें।
चर्म रोग कोई भी हो, शहद, सिरका मिलाकर चर्म रोग पर लगाये मलहम की तरह। कुष्ठ रोग में भी शहद खायें, शहद लगायें।
तुलसी का तेल बनाएं चर्म रोग के लिये– जड़ सहित तुलसी का हरा भरा पौधा लेकर धो लें, इसे पीसकर इसका रस निकालें। आधा कि. पानी- आ. कि तेल डालकर हल्की आंच पर पकाएं, जब तेल रह जाए तो छानकर शीशी में भर कर रख दें। तेल बन गया।
इसे सफेद दाग पर लगाएं। इन सब इलाज के लिए धैर्य की जरूरत है। कारण ठीक होने में समय लगता है। सफेद दाग में नीम एक वरदान है। कुष्ठ रोग का इलाज नीम के जितने करीब होगा, उतना ही फायदा होगा। नीम लगाएं, नीम खाएं, नीम पर सोएं, नीम के नीचे बैठे, सोये यानि कुष्ठ रोग के व्यक्ति जितना संभव हो नीम के नजदीक रहें। नीम के पत्ते पर सोएं, उसकी कोमल पत्तियां, निबोली चबाते रहें। रक्त शुद्धिकरण होगा। अंदर से त्वचा ठीक होगी।
कारण नीम अपने में खुद एक एंटीबायोटिक है। इसका वृक्ष अपने आसपास के वायुमंडल को शुद्ध, स्वच्छ, कीटाणुरहित रखता है। इसकी पत्तियां जलाकर पीसकर नीम के ही तेल में मिलाकर घाव पर लेप करें। नीम की फूल, पत्तियां, निबोली पीसकर इसका शर्बत चालीस दिन तक लगाताकर पियें। कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलेगी। नीम का गोंद, नीम के ही रस में पीसकर पिएं थोड़ी-थोड़ी मात्रा से शुरू करें इससे गलने वाला कुष्ठ रोग भी ठीक हो जाता है