उपचार: गर्मीं के कारण अथवा लू लगने के कारण आए ज्वर में रोगी का कंठ सूख जाता है, भीषण दाह होती है, तृषा अधिक होती है। इसमें घनापंचक काढ़ा पिलाना चाहिए। घनापंचक काढ़ा- नाीम की छाल गुरमें, घना, लालचंदन, पदमदाख चन्दन सम भाग लेकर 10 ग्राम ± दवा 500 ग्राम पानी में धीमी से उबालें 1/4 भाग शेष रहने पर छानकर 7 दिन पिलाएँ जड़ से बुखार ठीक हो जाएगा।
सोते हुए बिस्तर पर पेशाब करना:
औषधि: एक अखरोट की गिरी को 10-किसमिस के साथ खिलाने से 8-10 दिनों में बिस्तर पर पेशाब करने की समस्या दूर हो जाती है।