why doesn't marriage happen

विवाह क्यों नही होता है – नाड़ी ज्योतिष | Why doesn’t marriage happen – nadi jyotish

 

मानव जीवन एक पेड की भांति होता है,जिस जमीन पर पेड को लगाया जाताहै उसकी परवरिस की जाती है,उस के अनुसार ही पेड फ़लता फ़ूलता है,व्यक्ति का जन्म सितारों की शक्ति से होता है,सितारे उस जीवन को चलाते है,उनकी किरणें जैसे जैसे जीवन को प्राप्त होती है,जीवन अच्छा या बुरा चलता है,कुन्डली का सप्तम भाव सभी के लिये जरूरी होता है,सुर नर मुनि सभी को इस भाव ने प्रवाभित किया होता है,कहा भी गया है कि,”चिन्ता सांपिनि केहि नहिं खाया,केहि जग जाहि न व्यापी माया”,इस माया रूपी जिन्दगी को जीने के लिये सभी लालियत रहते है,हर कोई एक प्रकार के अजीब नशे के अन्दर जीना चाहता है,जीवन साथी का नशा सबसे अधिक गहरा होता है,वह जब चढता है तो ताज और तख्त की भी चिंता नही करता है,लेकिन यह जरूरी भी नही होता है कि सभी का वैवाहिक जीवन सुखी ही हो,वैवाहिक जीवन को सुखी रखने के लिये और उत्तम ग्रह-रश्मियों को प्राप्त करने के लिये रत्नों का प्रयोग किया जाता है,उत्तम रत्न हमेशा ही सफ़ल वैवाहिक जीवन देता है,रत्न परामर्श करने के लिये और मंगवाने के लिये आप सम्पर्क कर सकते है।

► नाडी विचार
चार चरण वाले नक्षत्र (अश्विनी भरणी रोहिणी आर्द्रा पुष्य आश्लेषा मघा पूर्वा फ़ाल्गुनी हस्त स्वाती अनुराधा ज्येष्ठा मूल पूर्वाषाढ श्रवण शतभिषा उत्तर भाद्रपद रेवती) उत्पन्न कन्या के लिये अश्विनी से लेकर रेवती तक तीन पर्वों पर क्रम उतक्रम से गिनकर यानी उल्टा सीधा गिनकर तीन चरण वाले नक्षत्र (कृतिका पुनर्वसु उत्तराफ़ाल्गुनी विशाखा उत्तराभाद्रपद और पूर्वाभाद्रपद) मे उत्पन्न कन्या के लिये कृतिका से लेकर भरणी तक क्रम और उतक्रम यानी उल्टा सीधा चार पर्वो पर गिनकर नाडी का पता चल जाता है,इसके अलावा दो चरण वाले नक्षत्र (मृगशिरा चित्रा धनिष्ठा) मे उत्पन्न कन्या की नाडी जानने के लिये मृगशिरा से लेकर रोहिणी तक पांच पर्वो पर क्रम और उतक्रम यानी उल्टा सीधा गिनने पर अगर वधू और वर एक ही नक्षत्र पर्व पर हो तो दोनो के लिये घातक माने जायेंगे,और भिन्न पर्वो पर होने पर शुभ माने जायेंगे। जैसे एक नक्षत्र के की प्रकृति आग की है और दूसरे की पानी की है तो चाहत बढती जायेगी और दोनो की ही प्रकृति आग या पानी ही है तो चाहत नही रहेगी। इसी प्रकार से पृथ्वी तत्व से पूर्ण नक्षत्र और जल से पूर्ण नक्षत्र संतति को पैदा करने के लिये ठीक माना जायेगा,दोनो ही धरती या जल से मिले होंगे तो संतति मे भी बाधा आयेगी और वैवाहिक जीवन भी घसीट कर ले कर चलने वाली बात होगी।

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