साफ सुथरा रहना एक बात है और पवित्र रहना उससे अलग बल्कि सूक्ष्म बात है। स्वच्छ रहने से शरीर और व्यक्तित्व में सकारात्मक ऊर्जा आती है और पवित्र रहने से उसके साथ नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है। कृष्ण भक्ति का प्रचार करने वाली संस्था इस्कान के अनुयायी और लेखक सुदर्शनदास का कहना है कि पवित्र व्यक्तियों से बुरी ताकतों और दुष्ट प्रभावों से बचाव की बात पुराने दिनों में भी मानी जाती थी।
जैसे लोग मानते थे कि साफ सुथरे और द्वेष दुर्भाव से दूर रहने वाले व्यक्तियों को भूतप्रेत नहीं सताते। उन पर काले जादू या तंत्र मंत्र का असर नहीं होता। श्रीदास के अनुसार बुरी शक्तियां या प्रेतबाधा कुछ और नहीं नकारात्मक शक्तियां और भावनाएं ही हैं।
श्रीदास की देखरेख में हुए एक शोध अध्ययन में निकले निष्कर्ष के मुताबिक दूसरों का अहित नहीं करने, स्पर्धा, द्वेष से दूर रहने वाले लोग रोग शोक से बचे रहते हैं। इस अध्ययन में बहत्तर लोगों को शामिल किया गया था। प्रत्येक से सैंतीस सवाल किए गए और दस दिन तक उनकी दिनचर्या का अध्ययन करने के बाद पाया कि मन मस्तिष्क में बसने वाले विचार और भाव भी लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
इस अध्ययन के अनुसार प्रतिदिन स्नान करने, बीमार होने पर भी मिट्टी, साबुन, पानी से थोड़ी मात्रा में ही सही लेकिन बाहरी पवित्रता बनाए रखने वाले, हल्का सादा और ताजा भोजन करने वाले लोग अस्वच्छ रहते हुए पौष्टिक संतुलित आहार लेने वालों की तुलना में ज्यादा स्वस्थ रहते हैं।
बहत्तर लोगों की जीवन शैली का अध्ययन करने के बाद यह भी सामने आया कि गुस्सैल लोगों का मस्तिष्क और स्नायुतंत्र अक्सर क्षतिग्रस्त रहता है। लोभी और कंजूस लोगों के मन में तनाव और ग्रंथियों में अनावश्यक संकुचन आ जाता है। इस तरह के व्यक्तियों को उन्माद, निराशा, अवसाद और अधीरता जैसे विकारों का सामना करना पड़ता है।
ये विकार प्रेतबाधा के रूप में बताए जा रहे लक्षणों में भी दिखाते हैं। इन विकारों से दूर रहने के लिए पवित्रता का अभ्यास काम आता है। श्रीदास ने शुरुआती तौर दूसरों के लिए अच्छा और शुभ सोचने की सलाह दी है। इससे विचारों में सकारात्मकता बढ़कर उसके असर की क्षमता बढ़ती है।
ऐसे लोगों पर जादू टोना और भूत प्रेत का असर नहीं होता – aise logo par jadu tona aur bhoot pret ka asar nahin hota – किया कराया, जादू टोना