यशोधर बाबू की पत्नी स्वयं को समय केअनुकूल ढाल लेती हैं किन्तु यशोधर ऐसा नहीं कर पाते। कारण सहित समीक्षा कीजिए
अथवा
‘किशन दा को अपना आदर्श मानने के फेर में यशोधर र्नइ पीढ़ी के साथ भी तालमेल नहींबिठा पाते। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा
यशोधर पंत पर किशन दा के प्रभाव की समीक्षा कीजिए अथवा यशोधर बाबूऐसा क्यों सोचतेहैंकि किशन दा की तरह घर गृहस्थी का बवाल न पालते तो अच्छा था।
उत्तर: यशोधर बाबू के प्रेरक किशन दा हैं। उनका अधीनस्थ के प्रति व्यवहार, भारतीय मूल्यों में विश्वास, साधारण रहन-सहन, दौलत के प्रति अनासक्ति आदि सभी किशन दा से प्रभावित हैं। उनके जीवन में उन्हीं की छाप थी। परन्तु यशोधर बाबू आधुनिक परिवेश में बदलते हुए जीवन मूल्यों आरै संस्कारों के विरुद्ध हैं यशोधर बाबू, किशन दा के संस्कारों और परम्पराओं से चिपके हैं। यशोधर बाबू बच्चोंकी आधुनिकता केविरोधी हैं। पत्नी के पहनावेतथा लड़कों के चाल-चलन, हाव-भाव से दुःखी हैं। लड़की की आधुनिकता अच्छी नहीं लगती। इस प्रकार यशोधर बाबूवर्तमान समय केसाथ अपना जीवन, विचार बदलनेमें असमर्थ रहे। तब उन्हेंकिशन दा की रह-रह कर याद आती कि किशन दा की तरह घर गृहस्थी के जाल में न पड़ते तो मस्ती भरा जीवन जीते। इसके विपरीत उनकी पत्नी स्वयं को समय व अपने बच्चों के अनुकूल ढाल लेती हैं।