हर व्यक्ति चाहता के वोह सभ से सुंदर दिखे और हर लड़की चाहती है के उसे अपूर्व सोंदर्य प्राप्ति हो इस के लिए इंसान चाहे औरत दोनों प्रयत्न शील रहते है !तरह तरह के साधन अपनाते है !सोंदर्य सिर्फ बाहर का नहीं अंतर में भी सोंदर्य हो वाणी में सोंदर्य हो चेहरे पे तेज हो तो वोह हर इंसान को अपने मोह पाश में बांध लेता है ! योगमाया देवी सोंदर्य और आकर्षण की प्रति मूर्ति है !इस से बढ़ कर कोई सुंदर नहीं !
यह किसी भी साधक को सोंदर्य प्रदान कर सकती है इस के लिए यह एक अनुभूत साधना है !इस से व्यक्ति के हर पहलू से सोंदर्य आ जाता है जहां महलाए भी अपने में एक विशेष आकर्षण महसूस करती है !तेज और मादकता उनके चेहरे से छल्क उठती है और वह अपने सोंदर्य में किसी को भी बांधने की शक्ति अर्जित कर लेती है !इस के लिए यह साधना बहुत लाभकारी है !आप भी एक वार इसे संपन कर अपने को विशेष सोंदर्य से श्राभोर करे !
यह आसान साधना है और इसे भी मोहिनी एकादशी को शुरू कर 11 दिन में पूर्ण करना है !इस हिसाब से आप 11 माला हर रोज कर सकते है !कुल मंत्र 7000 जप कर सकते है जा 11 दिन 11 माला कर ले !इस के लिए जो समगरी चाहिए आपके पास चाँदी की जा नवरतनों की माला हो जा सफटिक की माला का प्रयोग कर ले जा नवरंगी माला भी ले सकते है जैसी माला इन में से मिले प्रयोग में ले ले ! दूसरा आपके पास भगवान विष्णु का और योगा माया का चित्र जा मूर्ति हो !नगेंदर निखिल !
विधि —
सभ से पहले आप किसी बेजोट पे पे लाल वास्तर विशा कर देवी की और भगवान विष्णु की प्रितमा का स्थापन करे अगर प्रितमा जा विग्रयाह न हो तो तो सुंदर चित्र का स्थापन कर ले !सभ से पहले गुरु पूजन और श्री गणेश पूजन करे सद्गुरु का चित्र भी साथ में स्थापन करे और पूजन के बाद आज्ञा लेकर साधना शुरू करे !
देवी की प्रितमा पे गुलाबी रंग का वस्त्र चढ़ाए और केसर कुंकुम ,धूप दीप पुष्प नवेध के लिए शुद्ध घी की बनी हुई मिठाई आदि का भोग लगाए फल चढ़ाये और एक मीठा पान भी अर्पित करे इस पुजा में केसर और पान विशेष स्थान रखता है इस लिए यह दोनों चीजे खास कर पुजा में समलित करे हर रोज पूजन करना है वस्त्र एक वार चढ़ा सकते है बाकी समान रोज नया ले और पहला समान किसी पात्र में उठा के रख दे !इसके साथ ही भगवान विष्णु की आराधना करे और चित्र का पूजन करे !
फिर उकत माला से 11 माला निमन मंत्र का जप करे !ऐसा आपको 11 दिन करना है !11 दिन के बाद सारी स्मगरी जो पूजन के वक्त आपने उठा ली थी उसे जल प्रवाह कर दे और चित्र को पुजा स्थान में स्थापन कर दे इस प्रकार यह साधना पूर्ण हो जाती है !इस में आसन पीला और दिशा पच्छिम को मुख रखे !
मंत्र — ॐ वं वं वं क्रीं आकर्षिणी स्वाहा !!