prem praapti maha yogmaya mohini saadhana

प्रेम प्राप्ति महायोगी माया मोहिनी साधना – इन्द्रजाल द्वारा अचूक टोटके आजमाएं और पाएं सफलता – prem praapti maha yogmaya mohini saadhana – indrajaal dwara achuk totke

पुराणो के मुतावक जब स्मून्दर मंथन किया जाना था तो भगवान विष्णु चिंता में थे तब शक्ति योग माया प्रगट हुई !तो शक्ति ने भगवान से पूछा के प्रभु आप चिंतक क्यू है !तो भगवान ने कहा के समुंदर मंथन होने वाला है इस लिए के आज तक असुर ही सूरो पे भारी रहे है !क्यू के असुरो के पास माया और छल है !वोह उस के बल पे देवतायो को परास्त कर देते है तो देवताओ से अमृत भी छीन सकते है !तो शक्ति योग माया ने कहा भगवान मैं आपकी चिंता के निवारण के लिए अपने सूक्षम रूप में आप में वास करती हु तो शक्ति योग माया ने एक सुंदर मोहिनी रूप धरा और भगवान विष्णु में वास किया वोह रूप इतना सुंदर था के सारा ब्रह्मांड उस के स्मोहन में वंध गया !और इस ब्रह्मांड में उस जैसा कोई सुंदर रूप नहीं था !उसके बाद कोई उस जैसी सुंदर इस्त्री पैदा ही नहीं हो सकी और उस स्वरूप को ही विशव मोहिनी स्वरूप कहते है !

इसी शक्ति का आवाहन कर भगवान ने विशव मोहिनी रूप धरा जब देवताओ से अमृत छीन ल्या गया तो इसी स्वरूप में आ के भगवान ने देवताओ का उधार किया और जिस दिन यह रूप धरा उस दिन एकादशी थी !उस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है ! इस दिन भगवार के इस मोहिनी स्वरूप की पुजा वरत और साधना करने से सभी भोतिक कामनाओ की प्राप्ति तो होती ही है और इस मोह माया के बंदन से मुक्ति भी मिल जाती है

!इस संबंध में एक कथा भी विख्यात है एक वार एक सेठ था उस के पाँच लड़के थे ! वोह सेठ बहुत धार्मिक था !मगर उसका छोटा बेटा बहुत दूर व्यसनी था !उसके दुश करम दिन प्रति दिन बड्ते जा रहे थे !और इस वजह से सेठ बीमार रहने लगा फिर एक दिन उस ने ऋषि शरण ली और इस की मुक्ति का उपाए पूछा तो ऋषि कोंडीय ने उनको मोहिनी एकादशी का वरत करने की सलाह दी तब उसने वरत उपासना साधना पूजन अर्चन किया और इस से उन लड़को में बहुत ही बदलाव आया और उस सेठ का जीवन भी निखार गया मरण उपरांत विष्णु लोक की प्राप्ति हुई !जो की उचकोटी के ऋषिओ के लिए भी दुर्लव है !नगेंदर निखिल !!

असल में मोहिनी देवी योग माया है !और योग माया दो स्वरूप में है एक तो वोह जो अपने मोह माया में प्राणिओ को उलझय रखती है ! देवी मोहिनी के दिव्य अशीर्बाद से ही मोह माया के बंदन से निकल सकते है! और अपनी साधना को पूरा कर सकते है बिना माया भंग हुए साधना में सफलता का शांशय रेहता है ! दूसरा इस जीवन में भोतिक सुखो की कामना हर एक मनुष्य को रहती है और उनकी पूर्ति के लिए भी हम मोहिनी देवी से प्रथना कर सकते है देवी मोहिनी सर्व पापो से मुक्त कर साधक को अपूर्व सोंद्र्य और समोहन प्रदान करती है और हर प्रकार के भोतिक सुख देवी है ! दूसरा स्वरूप प्रेम का है अगर आप किसी से प्रेम करते है और उस प्रेम की प्राप्ति के लिए भी इस विशव मोहिनी के स्वरूप की उपासना कर सकते है ! क्यू के देवी योग माया का यह स्वरूप वास्तव में प्रेम प्रदान करने वाला है !और प्रेम विवाह में सफलता प्रदान करता है !क्यू के देवी के इस स्वरूप में आकर्षण शक्ति है !जब देवी ने भगवान के साहमने इस स्वरूप में प्रकट हुई तो भगवान के मुख से निकला के तुम मोहिनी हो तुमारे जैसा तो सुंदर कोई है ही नहीं तो भगवान के मुख से मोहिनी सबद निकलने से इस स्वरूप का नाम मोहिनी पै गया और इस स्वरूप में इतनी आकर्षण शक्ति है के जिस को देख कर भगवान शिव भी इस के पीछे पीछे चले गए थे यह देखने के ऐसी सोंद्र्य इस्त्री पैदा कैसे हो सकती है !इस लिए ऋषिओ ने इस दिन इसकी पुजा अर्चना रखी के जीवन में सभी सुख प्राप्त किए जा सके !नगेंदर निखिल !!

देवी योग माया का विश्व मोहिनी स्वरूप अपूर्व सोंद्र्य प्रदान करने वाला है! इस से बोल चाल का ढंग भी बदल जाता है ! उस में गज़ब का समोहन या जाता है !वाणी में समोहन और दृष्टि में स्मोहन जहां तक के उसे जो भी देखता है उस के समोहन में बंध जाता है !सभी प्राणिओ में आकर्षण शक्ति का संचार देवी योग माया ही करती है और देवी के इस स्वरूप का आशिर्बाद मिलने से आकर्षण शक्ति पैदा हो जाती है ! अगर आप के रिश्तो में मधुरता नहीं है घर में पत्नी से जा पति से मन मुटाव है तो भी इस साधना से उस को दूर किया जा सकता है ! यह साधना आपस में प्रेम पैदा करके रिश्तो में मधुरता लाती है !इसे इस्त्री और पुरश दोनों समान रूप में कर सकते है !यह साधना इस्त्रीयो में भी सोंद्र्य और स्मोहन पैदा करती है और उन्हे हमेशा तनाव मुक्त रखती है !यह व्यक्ति को कठिन से कठिन परस्थिति से निकाल देती है !इस के साथ अगर आपकी कोई बात नहीं मान रहा जा उच अधिकारी खफा रहता है तो भी यह साधना बहुत काम आती है !

साधना विधि –

एक देवी की प्रितमा(मूर्ति ) स्थापत करे अगर देवी योग माया की मूर्ति न मिले तो दुर्गा की मूर्ति स्थापन कर ले ! फिर उसे सुंगदत द्रव्य से ईशनान कराये और उस पे इत्र और चुनरी चढ़ाए ! 16 प्रकार का सिंगार ले और जहां बेजोटपे लाल वास्तर के उपर देवी की मूर्ति स्थापन करनी है और उसके सहमने बेजोट पे ही 16 सिंगार रख देने है और सात किसम की मिठाई का भोग लगाए और एक तिल की ढेरी पे तिल के तेल का दिया लगा दे जो देवी के चित्र के ठीक सहमने रखे देवी का पंचो उपचार पूजन करना है फल फूल धूप दीप नवेध अक्षत आदि से लाल रंग के फूल चढ़ाये देवी ! और सहमने ही लाल रंग के आसान पे लाल रंग के वस्त्र पहन कर बैठे दिशा पूर्व की तरफ मुख रखे ! पूजन से पहले गुरु जी और गणेश पूजन कर आज्ञा ले और देवी का पूजन करे फिर सफटिक जा मोती की माला से जप करे !आप एकादशी से शुरू करके 7 दिनो में जप पूर्ण कर सकते है !

साधना के बाद सिंगार का समान जा तो किसी मंदिर में कुश दक्षणा के साथ चढ़ा दे जा किसी कन्या को दे दे अगर संभव न हो तो नदी के पास किनारे पे छोड़ दे !साधना का समय रात को करे 8 से शुरू कर कभी भी कर ले !मंत्र संख्या 9000 हजार है !आप चाहे एक सप्ताह में कर ले जा जैसा आप उचित समझे ! दिन संख्या निर्धारित नहीं है जप 9000 करना है !आप चाहे तो 16 माला रोज कर एक सप्ताह में जप पूर्ण कर सकते है !इस तरीके से भी साधना पूर्ण हो जाती है !जप मधुरता से ही करे जल्दबाज़ी न करे इसी लिए एक सप्ताह का वक़्त दिया है ! जल्दबाज़ी में कभी धीरे जा तेजी से जाप करना श्रेष्ठ नहीं है क्यू के यह साधना बहुत तीक्ष्ण है ! साधना काल में ब्रह्मचर्य अनिवार्य है ! मंत्र –ॐ ह्रीं सर्व चक्र मोहिनी जाग्रय जाग्रय ॐ हुं स्वाहा !!

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