एक देवी की प्रितमा(मूर्ति ) स्थापत करे अगर देवी योग माया की मूर्ति न मिले तो दुर्गा की मूर्ति स्थापन कर ले ! फिर उसे सुंगदत द्रव्य से ईशनान कराये और उस पे इत्र और चुनरी चढ़ाए ! 16 प्रकार का सिंगार ले और जहां बेजोटपे लाल वास्तर के उपर देवी की मूर्ति स्थापन करनी है और उसके सहमने बेजोट पे ही 16 सिंगार रख देने है और सात किसम की मिठाई का भोग लगाए और एक तिल की ढेरी पे तिल के तेल का दिया लगा दे जो देवी के चित्र के ठीक सहमने रखे देवी का पंचो उपचार पूजन करना है फल फूल धूप दीप नवेध अक्षत आदि से लाल रंग के फूल चढ़ाये देवी ! और सहमने ही लाल रंग के आसान पे लाल रंग के वस्त्र पहन कर बैठे दिशा पूर्व की तरफ मुख रखे ! पूजन से पहले गुरु जी और गणेश पूजन कर आज्ञा ले और देवी का पूजन करे फिर सफटिक जा मोती की माला से जप करे !आप एकादशी से शुरू करके 7 दिनो में जप पूर्ण कर सकते है !
साधना के बाद सिंगार का समान जा तो किसी मंदिर में कुश दक्षणा के साथ चढ़ा दे जा किसी कन्या को दे दे अगर संभव न हो तो नदी के पास किनारे पे छोड़ दे !साधना का समय रात को करे 8 से शुरू कर कभी भी कर ले !मंत्र संख्या 9000 हजार है !आप चाहे एक सप्ताह में कर ले जा जैसा आप उचित समझे ! दिन संख्या निर्धारित नहीं है जप 9000 करना है !आप चाहे तो 16 माला रोज कर एक सप्ताह में जप पूर्ण कर सकते है !इस तरीके से भी साधना पूर्ण हो जाती है !जप मधुरता से ही करे जल्दबाज़ी न करे इसी लिए एक सप्ताह का वक़्त दिया है ! जल्दबाज़ी में कभी धीरे जा तेजी से जाप करना श्रेष्ठ नहीं है क्यू के यह साधना बहुत तीक्ष्ण है ! साधना काल में ब्रह्मचर्य अनिवार्य है ! मंत्र –ॐ ह्रीं सर्व चक्र मोहिनी जाग्रय जाग्रय ॐ हुं स्वाहा !!