कालसर्प दोष को लेकर लोगों में काफी भय और आशंका-कुशंकाएं रहती हैं, लेकिन कुछ आसान और अचूक उपायों से इसके असर को कम किया जा सकता है। कोई इसे कालसर्प दोष कहता है तो कोई योग। कोई इसे मानता है और कोई नहीं, लेकिन कुंडली के शोध से पता चलता है कि जिनकी भी कुंडली में यह दोष पाया गया है, उसका जीवन या तो रंक जैसे गुजरता है या फिर राजा जैसा।
आखिर कालसर्प दोष है क्या, कैसा होता है और इसका उपाय क्या है? यह समझना भी जरूरी है। पुराने ज्योतिष शास्त्रों में कालसर्प दोष का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन आधुनिक ज्योतिष में इसे पर्याप्त स्थान दिया गया है, लेकिन विद्वानों की राय भी इस बारे में एक जैसी नहीं है। मूलत: सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने को कालसर्प दोष माना जाता है।
राहू का अधिदेवता ‘काल’ है तथा केतु का अधिदेवता ‘सर्प’ है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो ‘कालसर्प’ दोष कहते हैं। राहू-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चंद्रमार्गी।