मनुष्य अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति, संस्था, बैंक से कर्ज लेकर भारी दर की ब्याज चुकाता है। उसकी व्यवस्था साधारणतया ऐसी होती है कि अपना मासिक बजट पूरा कर किस्तें चुकाता है।
लेकिन कभी-कभी बजट में गड़बड़ी होती है तथा वह कर्ज चुकाने में असफल हो जाता है तथा महीने-दर-महीने वह खाई बढ़ती ही जाती है। ऐसी अवस्था में यदि वह ऋणहर्ता गणपति का आश्रय लें तो उसका बजट ठीक मार्ग पर आ सकता है।