haan sambhav hai gayab hona

हां संभव है गायब होना – इन्द्रजाल में कैसे करें वशीकरण – haan sambhav hai gayab hona – indrajaal mein kaise karen vashikaran

हम जानते हैं कि किसी भी वस्तु के दिखने के लिए प्रकाश का होना जरूरी है। इसी कारण सूर्य को आंखों का देवता भी माना जाता है। जब प्रकाश की किरणें किसी वस्तु पर पड़ती हैं तो वे परावर्तित होकर हमारी आंख की पुतलियों से टकराती हैं। आंख की पुतली से गुजरकर ये किरणें पीछे की ओर एक निश्चित दूरी पर उसका बिंब बनाती हैं। इस बिंब के साथ जो स्नायु जुड़े रहते हैं वे इसकी सूचना मस्तिष्क को देते हैं। जिससे उस वस्तु की आकृति हमें दिखाई देती है। किंतु योगिक साधना के जानकार के लिए यह क्रिया सुनिश्चित प्रणाली के तहत होती है। योगी एक ऐसी सिद्धि प्राप्त कर लेता है कि वह उपस्थित होते हुए भी किसी को दिखाई नहीं देता। योग की भाषा में इस क्षमता को अंतध्र्यान होना कहा जाता है। योगी अपनी सिद्धि के बल पर अपने शरीर का रंग ऐसा बना लेता है जिससे कि प्रकाश की किरणें परावर्तित ही नहीं होती। जिससे दूसरे लोगों की आंखों में उसका बिंब बनता ही नहीं है। इसी कारण उस योगी को कोई देख नहीं सकता। इसके अतिरिक्त योग शास्त्रों में गायब होने की एक अन्य विधि का भी उल्लेख मिलता है। सिद्ध योगी पंच तत्वों से बने अपने शरीर के अणु परमाणुओं को आकाश में बिखेर कर सूक्ष्म शरीर धारण कर लेता है। यह सुक्ष्म शरीर किसी को भी दिखाई नहीं देता। योगी सूक्ष्म शरीर से कुछ ही क्षणों में कितनी ही दूर आ जा सकता है। सिद्ध योगियों के पास इसी तरह की अनेक अद्भुत क्षमताएं होती हैं। ये अद्भुत सिद्धियां कोई जादु या चमत्कार नहीं है। यह सिद्धियां एक निश्चित वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत कार्य करती हैं। अष्टांग योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि ने गायब होने की इस यौगिक सिद्धि का उल्लेख अपने ग्रंथ में किया है। वे लिखते हैंकायरूपसंयमात् ….. अंतर्धानम्। (विभूति पाद सूत्र 21) यानि शरीर के रूप में संयम करने से जब उसकी ग्रहण शक्ति रोक ली जाती है। तब आंख के प्रकाश का उसके साथ संबंध न होने के कारण योगी अंतर्धान हो जाता है।

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