मां बनना हर महिला का सपना होता है। परंतु कई प्रयासों एवं अधूरी जानकारी के कारण उनका यह स्वप्न देर से या कभी पूरा नहीं होता है। कभी-कभी गर्भ ठहरकर ही कुछ माह मे गर्भस्राव हो जाता है। बच्चा पैदा नहीं होता उसके दस कारण शास्त्रों में बताए गए हैं:उसमें यदि शुरु के नौ कारण न हो तो दसवां कारण ज्योतिष से संबंधित माना जाता है। पांचवा भाव यदि राहु, गुरु, शनि से ग्रस्त हो तथा इन पर किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि भी न हो तो संतान उत्पत्ति में परेशानी होती है, या गर्भस्राव होते हैं। ऐसे संबंधित ग्रहों के उपचार से संतान उत्पत्ति आसान हो सकती है। पंचम भाव में यदि गुरु स्थित हो तो संतान में देरी होती है, साथ ही यदि पति या पत्नी में से किसी को गुरु की महादशा भी हो तो संतान विवाह के सोलह वर्षों के बाद होने की संभावना होती है। पंचम भाव में यदि गुरु की दृष्टि हो तो संतान विवाह के 8-10 वर्षों के बाद उत्पन्न होती है। राहु या शनि से युक्त पंचम स्थान बार-बार गर्भस्राव या हिनता का कारक होता है।
क्या उपाय करें।
-संतान में देरी हो तो पुत्रदा एकादशी व्रत करें।
-हरिवंश पुराण का पाठ करें।
-कार्तिक चैत्र, माद्य माह में प्रतिपदा से नवमी (शुक्लपक्ष) रामायण का नवाह्नपरायण करें।