चिकित्सा के क्षेत्र में सफलता पाने की चाह रखने वालों के शनि और राहु सहायक ग्रह होते हैं। शनि चिकित्सा के क्षेत्र में प्रवेश करवाता है। शनि लौह तत्व का कारक है तथा डॉक्टरों का अधिकतम कार्य लोहे से बने औजारों और मशीनों से ही होता है। शनि में साथ यदि राहु की भी सही स्थिति कुंडली में बन जाए तो व्यक्ति डॉक्टर होने के साथ-साथ शल्य चिकित्सक या विशेषज्ञ होता है।
चिकित्सा शिक्षा में बेहतर परिणाम कैसेयदि जातक की कुंडली में शनि कर्म, पराक्रम सप्तम आय स्थान में स्थित हो तो विद्यार्थी का रुझान फिजिक्स, कैमेस्ट्री, बॉयोलॉजी की तरफ होता है। यदि इन्हीं घरों में शनि उच्च का स्वग्रही या मित्र राशि में हो तो डॉक्टरी पेशे में उसको विशेष दक्षता प्राप्त होती है। शनि कमजोर हो तो थोड़ी सी अधिक मेहनत कर बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
कैसे मिल सकती है चिकित्सा में ऊंचाई शनि का एक अन्य नाम है मंद अर्थात धीमा। वैसे तो धीमी शुरुआत को अच्छा माना जाता है। किंतु आज धीरे नहीं चला जा सकता। आप चिकित्सक हैं और आपको आपकी क्षमता के अनुसार नाम और दाम नहीं मिल रहा है तो आपको शनि का ही सहयोग लेना होगा। शनि ही आपको इस पेशे में नई ऊंचाई पर पहुंचाएगा। – आफिस में नीले पर्दे और हल्के रंग दीवार पर इस्तेमाल करें। – नीले रंग की प्लास्टिक की बोतल से पानी पीएं। – थोड़ा श्रम अधिक करें। – असहाय मरीजों की सहायता करें।कुछ ही दिनों में आपको इसका बेहतर परिणाम मिलने लगेंगे।