जब भी आप कोई हॉरर मूवी देखते हैं, या बड़े-बूढ़े जब भूतिया किस्से सुनाते हैं, तो उसमें पीपल के पेड़ का जिक्र जरूर होता है। शायद यही कारण है कि तमाम लोग यह समझते हैं कि पीपल पर भूतों का निवास होता है, पर सच कुछ और ही है। यहां भूतों का नहीं ईश्वर निवास करते हैं।
हिन्दू धर्म में पीपल वृक्ष को देवों का देव कहा गया है। स्वयं कृष्ण ने गाती में कहा है कि मैं वृक्षों में पीपल हूं। जिसने भी इस वृक्ष की सेवा श्रद्धा भाव से की है, उसे लाभ की अनुभूति अवश्य हुयी है। विज्ञान के द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि पीपल एंव बरगद के वृक्षों में चैबीसों घन्टे आक्सीजन निकलती है। इसीलिए हमारे पूर्वजों ने हर गांव में पीपल या बरगद का पेड़ लगाने की परम्परा विकसित की थी ताकि गांव का वातावरण स्वच्छ एंव विशुद्ध रहें और सभी को पर्याप्त मात्रा में आक्सीजन की प्राप्ति हो सके।
आधुनिक नवयुवक हमारी प्राचीन परम्पराओं को रूढ़वादी एंव ढकोसला बता कर खारिज कर रहें है, जिसका परिणाम यह है कि गांव की अपेक्षा शहरों में अस्थमा के रोगी अधिक है। आप भी आने वाले शुक्लपक्ष के शनिवार से पीपल के वृक्ष की सेवा शुरू करके अनेक प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पाकर सुखी व समृद्ध जीवन गुजार सकते है।
उपाय- पीपल के वृक्ष की प्रत्येक शनिवार को (दूध, जल, शक्कर, शहद, काले तिल, गंगा जल और गुड़ इन सभी चीजों को जल में मिलायें) तत्पश्चात यह मीठा जल पीपल वृक्ष पर चढ़ायें। और आटा का दीपक जलाकर उसमें सरसों का तेल, एक लोहे की कील व 11 साबुत उड़त के दाने डालकर धूप दीप क साथ आर्पित करें। बायें हाथ से पीपल के वृक्ष की जड़ को स्पर्श कर अपने माथें में लगायें व 11 बार परिक्रमा करें। यह उपाय करने से कुछ ही समय पश्चात आपको शनिदेव की कृपा मिलने लगेगी।