पूछने पर मिसिर माझी-गांव के सिद्ध गुरु बलिकरन ने बताया–`मंत्र देवी–वाक्य है जिसमें बेधने की शक्ति होती है. मंत्र देवी के प्रसन्न होने पर, उनकी कृपा से प्राप्त होता है. गुरु ने मंत्र के विषय में कुछ और अधिक बताने के लिए एक पाव शराब की मांग की. शराब पीकर भगवती के धाम पर बैठकर उसने बताया कार्तिक से वैशाख तक शाम को मंत्र पढ़ता हूँ. चेले मंत्र को इसी धाम के इर्दगिर्द बैठकर सिद्ध करते हैं.
मंत्र सिद्ध करने को `हबुआना’ कहते हैं. हबुआना अर्थात् मंत्र को इस तेजी के साथ पढ़ना कि मन्त्र के शब्द स्पष्ट मालूम न पड़े. धाम पर रखे बाने को अपने शरीर में बेधकर शिष्य मन्त्र के सिद्ध हो जाने का प्रमाण देता है.
शरीर में बाना बेधने से अगर पीड़ी अनुभव हो और रक्त निकल आये तो सिद्धि असफल है. अपने ही शरीर में नहीं, दूसरे के शरीर में भी बेधकर अपने मन्त्र के पूर्ण सिद्ध हो जाने का प्रमाण देना पड़ता है.