tona jaoge

टोना जागे – काला जादू – tona jaoge – kaala jaadu

भूत भागेदीपावली की मध्य रात्रि में टोना जगाने की प्रथा आज भी प्रचलित है. उसी दिन गांव के बाहर एकान्त स्थान पर स्त्री निर्वसन होकर टोना सीखती, सिद्ध करती और ताजा करती है. सिद्धि की प्रक्रिया में सात सुई और डोरा प्रयोग में लाया जाता है. स्त्री टोने का पहला मन्त्र पढ़कर रात्रि के घोर अन्धकार में सुई के सूराख में डोरा डालती है. दूसरा मन्त्र पढ़कर अपने इष्ट देवी-देवता या पिशाच का आवाहन करती है. जब उस पर इष्ट का पूर्ण `आसेव’ हो जाता है तो वह तीसरा मन्त्र पढ़कर सुई को अपने गुप्तांग में प्रवेश कराती है. मन्त्र के प्रभाव और इष्ट की कृपा से जब सातों सुइयां बिना किसी प्रकार की पीड़ा और रक्तस्रराव के प्रवेश कर जाती हैं तो टोना सिद्ध हो जाता है. टोना सिद्ध हो जाने के बाद वह स्त्री डोरे की सहायता से, सातों सुइयों को एक-एक कर निकाल लेती है. टोना सिद्ध करने के बीच,

अगर कोई व्यवधान, पीड़ा या रक्तस्राव हो तो टोना असफल समझा जाता है फिर उसे सारी प्रक्रियाएं पुन करनी पड़ती हैं. टोने का मंत्र सिद्ध कर लेने पर वह स्त्री निविड़ अंधकार में अपने इष्ट देवी-देवता और पिशाच को विशिष्ट आवाज में एकबार पूरी शक्ति के साथ चित्कारती हुई किसी भी दिशा में दौड़ पड़ती है. उस वक्त ऐसा लगता है कि जैसे उसके भीतर कोई अति मानवी शक्ति आ गयी हो और वह उस विक्षिप्तावस्था में लाल आंखों, बिखरे बालों के कारण दानवी बन गयी हो. कहते हैं जब वह चिल्लाकर दोड़ रही होती है, उस समय साहस कर अगर कोई उसके केश पकड़ लेले, तो वह स्त्री उसके वश में हो जाती है.

टोना जागे – tona jaoge – काला जादू – kaala jaadu

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