टोना जानने वाली स्त्री तीन स्थितियों में टोने का मंत्र मारती है– अपमान, ईर्ष्या और प्रेम में. लेकिन किसी भी स्थिति में वह पहल नहीं करती जब तक उसे छेड़ा न जाय. प्रेम-प्रंसग में वह टोना करके अपने प्रेमी के चित्र पर सर्प बैठाल देती है. वह सर्प वास्तव में उसी का प्रतिरूप होता है. टोने का वशीभूत पुरुष जब भी किसी रूपवती स्त्री या अपनी विवाहिता को देखता है, तो वह भी उसी टोनहिन स्त्री सदृश दीखती है.
टोने का वशीकरण बहुत ही प्रभावशाली और भंयकर होता है. वशीकरण में बंधे व्यक्ति को जब घरवाले मुक्त कराने का प्रयास करते हैं तो टोनहिन भरसक अपने मंत्र के प्रभाव को अपने प्रेमी पर बनाये रखने की चेष्टा करती है.
विफल होने पर वह प्रतिशोध की भावना से प्रेमी के चित्र पर बैठे मंत्र रूपी सर्प से प्रेमी को डंसाती है. इस प्रकार डंसा व्यक्ति फिर सामान्य व्यक्ति के रूप में जीवित नहीं रह पाता है.
टोनहिन मारे टोना, औझा करे औझाई जब टोनहिन के होने की बात प्रमाणित हो जाती है तो उस स्त्री के सामने दो ही विकल्प होते हैं या तो वह टोना खींच ले या कठोर दण्ड भोगे. टोनहिन होने के सन्देह में कभी-कभी निर्दोष स्त्री भी दण्ड पा जाती है. आदिवासी समाज में ओझा और बैगा का निर्णय अन्तिम होता है तथा टोनहिन के लिए इनके यहां दण्ड-विधान अनिवार्य होता है.