kaise jaanen ki kundalee mein pitr ya pretadosh?

कैसे जानें कि कुंडली में पितृ या प्रेत दोष? – किया कराया, जादू टोना – kaise jaanen ki kundalee mein pitr ya pretadosh? – jadu tona kiya karaya ke upay

कुंडली में पितृदोष का सृजन दो ग्रहों सूर्य व मंगल के पीड़ित होने से होता है क्योंकि सूर्य का संबंध पिता से व मंगल का संबंध रक्त से होता है। सूर्य के लिए पाप ग्रह शनि राहु व केतु माने गए हैं। अतः जब सूर्य का इन ग्रहों के साथ दृष्टि या युति संबंध हो तो सूर्यकृत पितृदोष का निर्माण होता है। इसी प्रकार मंगल यदि राहु या केतु के साथ हो या इनसे दृष्ट हो तो मंगलकृत पितृ दोष का निर्माण होता है। सामान्यतः यह देखा जाता है कि सूर्यकृत पितृदोष होने से जातक के अपने परिवार या कुंटुंब में अपने से बड़े व्यक्तियों से विचार नहीं मिलते। वहीं मंगलकृत पितृदोष होने से जातक के अपने परिवार या कुटुम्ब में अपने छोटे व्यक्तियों से विचार नहीं मिलते। सूर्य व मंगल की राहु से युति अत्यन्त विषम स्थिति पैदा कर देती है क्योंकि राहु एक पृथकताकारी ग्रह है तथा सूर्य व मंगल को उनके कारकों से पृथक कर देता है।

कैसे जानें कि कुंडली में पितृ या प्रेत दोष? – kaise jaanen ki kundalee mein pitr ya pretadosh? – किया कराया, जादू टोना

 

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