अनेक लोग इसका निदान पूछ रहे हैं। हमारी समस्या इसी से हैं, निदान बताईये। परन्तु, यह विषय एक प्रकार का विष प्रयोग है। इसके लाखों नुस्खें। क्या किया गया हैं; यह लक्षणों के आधार पर परिक्षण करके जाना जाता है। नख, बाल, आँख, हथेली, तलवे – एवं व्यवहार में आये परिवर्त्तन के लक्षणों से इसका निदान किया जाता है। यह पूरा चिकित्सा-विज्ञान है। कोई सार्वजनिक निदान संभव नहीं है। यह डॉक्टरी परीक्षण की तरह परीक्षण का विषय है। केवल खिलाये पिलाये में ही नहीं , आगे दिए गये तांत्रिक अभिचारों के प्रत्येक वर्ग में निदान का उपाय परिक्षण के बाद ही संभव है। दो ही रास्ते हैं –‘परीक्षण करके या लक्षणों के आधार पर।’
इन बातों से भी सावधान रहे
अभी कुछ दसक पहले तक स्त्रियाँ कंघी करते समय टूटे बालों को पत्ते में लपेटकर पानी में बहाती थी; या मिट्टी में दबवाती थी। बच्चों के टूटे दांतों , काटे गये नखों-बालों को भी इसी प्रकार पानी या मिट्टी में विसर्जित किया जाता था। अधोवस्त्रों , मोजों , टूटे जूते-चप्पलों के प्रति सावधानी बरती जाती थी।झाड़ू देते समय घर के आस-पास किसी विजातीय छीज को देखकर उर पर झाड़ू नहीं चलाते थे।कई प्रकार के टोटकों से उन्हें हटाया जाता था। सड़क के बीच पूजा के सामान, किसी के दरवाजे पर पूजित सामान, कंपाउंड या मकान में हड्डी, चिड़ियों के पंख, तागे- इन सबसे सावधान रहा जाता था।
पर जैसे-जैसे समाज मॉडर्न होता गया; यह सब बेमानी हो गया । प्रति महीने घर में होने वाला हवन, धूपदानी में जलाये जानेवाले गुग्गुल –लकड़ी धुप आदि बंद हो गये।
अब जरा कुछ वैज्ञानिक तथ्यों को देखिये।पेड़ से टूटा पत्ता, सिर से अलग हुए अवशेष 90 घंटों से लेकर 90 दिनों तक ऊर्जा विकरण करते रहते है। इसकी प्रकृति मूल आधार (पेड़-व्यक्ति-स्त्री-पुरुष) की ऊर्जा के अनुरूप पॉजिटिव होती हैं। यानी इसकी तरंगों का एक मात्र रिसीवर वह शरीर है, जिससे वह अलग हुआ है।वह किसी दूसरे शरीर में अवशेषित नहीं होगा। वह अपने नेगेटिव को ढूंढेगा और वह पृथ्वी पर कहीं भी हो, उसमें समाहित होगा।
अब यदि आपके बालों या पसीने से सिक्त या ऊर्जा से आयनित किसी वास्तु को विशेष विधि से विषों में लिप्त करके लगातार दो-तीन हवन किया जाए, तो आप विषैली ऊर्जा के शिकार हो जाएँगे,और अपने शरीर, मन, आचार-व्यवहार, परिस्थितियों के परिवर्त्तन का कोई कारण नहीं ढूंढ पाएंगे।तन्त्र विद्या सूक्ष्म ऊर्जा तरंगों की विद्या है। मोबाइल का रेडीयेशन आपके मस्तिष्क-ह्रदय को प्रभावित कर सकता है; तो ये तो और तेज और भयानक गति वाले माइक्रोवेब्स होते है। कोई डॉक्टर आपके परिक्षण से इसे ट्रेस नहीं कर सकता।
यदि किसी व्यक्ति ने किसी स्त्री के रज या बालों के साथ अपने अधोबाल, मूत्र, वीर्य मिलाकर कामपंचक (एक रासायनिक संयोग) मिलाकर कामबीज मंत्रों के साथ हवन कर दे, तो वह स्त्री उस व्यक्ति के प्रति आकर्षण और कामुकता का शिकार हो जाएगी। वह पहचान का नहीं होगा, तो अज्ञात से मिलने की तड़प उत्पन्न हो जाएगी।
सुरक्षा के निदान
पीड़ित हो जाने पर तो परिक्षण अक्र्के चिकित्सा ही करनी पड़ेगी; पर यदि आप अपने घर में प्रति महीने (लकड़ी धूप, अपामार्ग, मदार, धतूरा, तिल , जौ., चावल, गूलर, पाकड़, बरगद, पीपल, कुश की जड़े)ईष्ट का हवन करवाईये; दुर्गा, भैरव, काली जी के तांत्रिक तरीके से सिद्ध ताबीज बांधे, शुद्ध-सरसों तेल कि मालिश करे, सभी छेदों में डालें, तो इस प्रकार के प्रयोग प्रभावहीन हो जाते है या दुर्बल होते हैं। उपर्युक्त बालादि को सुरक्षित डिस्पोजल करें।
लक्षण असामान्य होते ही तुरंत चिकित्सा करनी चाहिए। तन्त्र की क्रियाएं मियादी (समय से बंधी) होती है। एक सीमा के बाद निदान असम्भव हो जाता है।
खिलाये-पिलाये का निदान कैसे हो? – khilaye-pilaye ka nidan kaise ho? – क्या है बंधन और उसके उपाय