जैसे यदि अशुभ शनि षष्ठ भाव (पाताल) में स्थिति होकर अत्यंत कष्टकारी हो तो शनि की वस्तु सरसों के तेल को मिट्टी के बर्तन (बुध-षष्ठ राशीश) में भरकर और उसका ढक्कन अच्छी तरह बंद कर, किसी तालाब के किनारे (शुक्र स्थान, जो शनि का मित्र है) गाड़ देने से शनि शांत हो जाता है और इस तरह कष्टों का निवारण हो जाता है।
थोड़े अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए संबद्ध ग्रह से संबंधित वस्तु को चलते पानी में बहाना, अर्थात् कष्टों को दूर करना।
जैसे यदि राहु अष्टम भाव (शमशान) में अचानक बाधाएं दे रहा हो तो सीसा धातु (राहु) के 100 ग्राम वजन के आठ टुकड़े
(शनि अष्टम भाव का कारक ग्रह) – प्रतिदिन एक टुकड़ा बहते पानी में प्रवाहित करने से राहु जनित पीड़ा की शांति होती है।
थोड़ा शुभ और थोड़ा अशुभकारी ग्रह को पूर्ण शुभकारी बनाने के लिए उसके मित्र ग्रह को प्रसन्न कर उसकी सहायता लेना जैसे यदि षष्ठ भाव (पाताल) में केतु बुरा फल दे रहा हो तो जातक को छोटी उंगली (बुध) में सोने (बृहस्पति) की अंगूठी (बुध) पहनने से षष्ठ राशीश बुध और बृहस्पति (केतु के गुरु) प्रसन्न होकर केतु पर अंकुश रखते हैं। थोड़े अशुभ ग्रह के प्रभाव को खत्म करने के लिए उस ग्रह के परम शत्रु की वस्तु अपने पास रखना।
जैसे अष्टम भाव स्थित मंगल के थोड़े अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए हाथी दांत (राहु-मंगल का शत्रु) की कोई वस्तु अपने पास रखनी चाहिए।
किसी शुभ ग्रह की अशुभता दूर करने के लिए संबंधित वस्तु को उसके दूसरे कारक को अर्पित करना। जैसे
बृहस्पति की अशुभता दूर करने के लिए चने की कच्ची दाल (बृहस्पति की वस्तु) मंदिर (धर्म स्थान-बृहस्पति) में चढ़ानी चाहिए। परंतु मंदिर में कोई वस्तु चढ़ाने से पहले यह देख लेना आवश्यक है कि कुंडली के दूसरे भाव (धर्म स्थान) में उस ग्रह का शत्रु स्थित न हो, अन्यथा नुकसान होगा। ग्रह के इष्ट देव की आराधना करना।
यदि षष्ठ भाव (पाताल) स्थित राहु समझ न आने वाला रोग दे रहा हो तो नीले फूलों (राहु की वस्तु) से देवी सरस्वती (राहु की इष्ट देवी) की पूजा आराधना करनी चाहिए, इससे रोग से छुटकारा मिलता है। दो अशुभ ग्रहों का झगड़ा मिटाने के लिए उनके मित्र ग्रह को उनके बीच में स्थापित करना। जैसे शनि और सूर्य (विपरीत स्वभावी ग्रह) षष्ठ भाव (पाताल) में स्थित होकर अशुभ प्रभाव डालते हों, तो उनके साथ में बुध को (जो सूर्य और शनि दोनों का मित्र है) स्थापित करने के लिए घर में फूलों वाले पौधे (बुध की वस्तु) लगाने चाहिए।
उपाय के लिये विशेष नियम ग्रहों के दुष्प्रभाव शीघ्र दूर करने के लिए 43 दिन तक प्रतिदिन उपाय करने चाहिए। यदि बीच में प्रयोग खंडित हो जाए तो फिर से शुरू करें। ये उपाय दिन के समय करने चाहिए। एक दिन में केवल एक ही उपाय करना चाहिए। स जातक के असमर्थ होने पर खून के रिश्ते वाला कोई व्यक्ति उसके नाम से यह उपाय कर सकता है।
लाल किताब के विशेष टोटके – lal kitab ke vishesh totake – लाल किताब