किसी भी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर निकलने से पूर्व दही में गुड़ या चीनी मिलाकर सेवन करके बाहर निकलने से कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही घर से बाहर निकलते समय अपने पास कुछ धन राशि रख दें इस धन राशि से किसी जरूरत मंद व्यक्ति को खाने की चींज देकर निकल जाएं कार्य सफलता मिल जाएगी।
यदि जातक के अपने कर्म ठीक है, कार्य व्यवसाय में वह ईमानदारी से परिश्रम करता हो, उसके बावजूद भी कार्य में सफलता नहीं मिल रही हो अथवा घर में शांति नहीं हो तो इस प्रयोग से अवश्य शांति मिलेगी। प्रतिदिन स्नान के जल में एक आम का पत्ता, एक पीपल का पत्ता, दुर्वा-11, तुलसी का एक पत्ता और एक बिल्व पत्र डालकर मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें तो सभी प्रकार के ग्रह पीड़ा व कष्टों से मुक्ति मिलेगी। मंत्र इस प्रकार है।-
ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनं ऊर्व्वारुकमिव वंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मां मृतात्।
भगवान दत्तात्रोय को ब्रह्मा-विष्णु-महेष की शक्तियों का संयोग कहा जाता है। अत: दत्ताात्रोय जी की साधना गूलर के पेड़ के नीचे बैठकर करने से शीघ्र फलदायी होती है। उत्तार पूर्व की ओर मुख करके ‘ओम द्रां दत्तात्रोय नम:’ मंत्रों का 21 दिन निरंतर 21 माला जप करने से बहुत लाभ मिलता है। पूजा में श्वेत चंदन, पुष्प और केवड़े के इत्रा का प्रयोग करना चाहिए।
अक्षय तृतीया या किसी भी शुक्रवार की रात्रि को कांसे या पीतल की थाली में काजल लगाकर काली कर दें और फिर चांदी की शलाका से लक्ष्मी का चित्र बनाएं चाहे वह कैसा भी बने, फिर चित्र के ऊपर ऐष्वर्य लक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें और एक निष्ठ होकर, मात्र एक सफेद धोती ही पहनकर, उत्तार दिषा की ओर मुंह कर, सामने गेहूं के आटे के चार दीपक बनाए और उसमें किसी भी प्रकार का तेल भरकर प्रज्जवलित करें और थाली के चारों कोनों पर रखे मूंगों की माला से निम्न मंत्र का एक रात्रि में 51 माला मंत्र जप करें। ओउम्ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं फट्॥ जब मंत्र पूरा हो जाए तो रात्रि में वहीं विश्राम करें और जमीन पर ही सो जाएं।
अगर आप कर्ज से परेषान है तो सफेद रुमाल लें। पांच गुलाब के फूल, एक चांदी का पत्ता, थोड़े से चावल, गुड़ लें। मंदिर में जाकर रुमाल को रखकर इन चीजों को हाथ में ले लें और 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करें। इनको इकठ्ठा कर कहें मेरी परेषानी दूर हो जाएं तथा मेरा कर्जा उतर जाए। फिर इन सबको ले जाकर बहते जल में प्रवाह कर दें। यह प्रक्रिया सोमवार को करनी चाहिए। अगर इसे विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति के सामने किया जाए तो और भी अच्छा होता है। इसे कम से कम 7 सोमवार करना चाहिए।
कार्य सफलता के लिए – kaary saphalata ke liye – रामबाण टोटके और उपाय