जिस जातक की जन्म कुंडली में बृहस्पति नीच का हो, 6, 8, 12 भावों में क्रूर ग्रहों के साथ बैठा हो अथवा दृष्ट हो, प्रबल मार्केष हो तो ऐसी अवस्था में यह उपाय रामबाण का काम करता है। गुरुपुष्य नक्षत्र के दिन गुरु की होरा में केले की जड़ को पूजनादि करके खोदकर घर लाएं। उस जड़ को पूजन स्थान में रखकर श्रध्दापूर्वक बृहस्पति देवता का पूजन करके पीले कपड़े में लपेटकर अथवा सोने में जड़वाकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करें। इससे गुरुजन्य दोषों का निवारण एवं व्यवसाय में लाभ होता है। साथ ही जिनके विवाह में विलम्ब हो रहा है उन्हें भी इस प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है।
यदि किसी के विवाह में विलम्ब हो रहा है तो उसे बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए। बृहस्पति व्रत कथा सुननी चाहिए तथा प्रत्येक गुरुवार को हल्दी की गांठ बिस्तर के नीचे लेकर सोएं।
यदि पति से झगड़ा होता है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को पत्नी अषोक वृक्ष की जड़ में घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती जलाए, नैवेद्य चढ़ाए। पेड़ को जल अर्पित करते समय उससे अपनी कामना करनी चाहिए। फिर वृक्ष से सात पत्तो तोड़कर घर लाएं, श्रध्दा से उनकी पूजा करें व घर के मंदिर में रख दे। अगले सोमवार फिर से यह उपासना करे तथा सूखे पत्ताों को बहते जल में प्रवाहित कर दें।
समय पर विवाह न हो रहा हो तो शुक्ल पक्ष में किसी गुरुवार के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें। पीले वस्त्र पहल लें। बेसन को देषी घी में सेंककर बूरा मिलाकर 108 लड्डू बनाएं। पीले रंग की टोकरी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसमें ये लड्डू रख दें। इच्छानुसार कुछ दक्षिणा भी रख दें। यह सारा सामान षिव मंदिर में जाकर गणेष, पार्वती तथा षिवजी का पूजन कर मनोवांछित वर प्राप्ति का संकल्प कर किसी ब्राह्मण को दे दें। इससे शीघ्र विवाह की संभावना बनेगी।
विवाह में विलम्ब के उपाय – vivaah mein vilamb ke upaay – रामबाण टोटके और उपाय