नक्षत्रों का प्रभाव जीवन में अवश्य प्रभावी होता है। किसी किसी के मुँह से हमने सुना भी है कि तुम किस नक्षत्र में जन्मे हो। नक्षत्र का स्वामी राशि स्वामी में मैत्री हो तो अति उत्तम फलदायी होता है। यदि दोनों एक-दूसरे के शत्रु हों तो फल में भी कुछ न कुछ अंतर आ जाता है। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मंडल का 20वाँ नक्षत्र है। यह धनुराशि में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक है तो राशि स्वामी शुक्र। नक्षत्र स्वामी की सर्वाधिक दशा 20 वर्ष की होती है। इसके बाद सूर्य व चंद्र 16 वर्ष की दशा रहती है।
इस नक्षत्र में जितना भी योग्य वर्ष होता है, वह लगभग बचपन से लेकर युवावस्था तक यही दशा चंद्र के अनुसार रहती है। इनके प्रारंभिक जीवनकाल में शुक्र, चंद्र,सूर्य का विशेष महत्व रहेगा। इसी दशा-अंतरदशा में पढ़ाई, विवाद, सर्विस आदि के योग बनेंगे। इनका जन्म लग्न में शुभ होकर बैठना अति उत्तम फलदायी रहेगा।
शुक्र कला, धन, सौंदर्य प्रसाधन, ब्यूटीशियन, चिकित्सा, इंजीनियर, इलेक्ट्रॉनिक, कामवासना आदि का कारक है। वहीं राशि गुरु महत्वाकांक्षा, ईमानदारी, दया भाव, राजनीतिक, प्रशासनिक संगठन आदि का कारक है। शुक्र यदि स्वराशि या उच्च का हो तो ऐसे जातक सुंदर, कलाकार आदि होते हैं वहीं गुरु स्वराशि या उच्च का हो तो ये अपने कार्यक्षेत्र में प्रगति के साथ ईमानदार होते हैं। इनमें कला के साथ सद्गुण भी होते हैं। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मंडल का 20वाँ नक्षत्र है। यह धनुराशि में आता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक है तो राशि स्वामी शुक्र। नक्षत्र स्वामी की सर्वाधिक दशा 20 वर्ष की होती है। इसके बाद सूर्य व चंद्र 16 वर्ष की दशा रहती
poorvashada nakshatra parichay – पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र परिचय – पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र परिचय – Purva ashadha constellation introduction