पूजा एवं भोजन के समय कलह की स्थिति बनने पर घर के पूजा स्थल की नियमित सफाई करें और मंदिर में नियमित दीप जलाकर पूजा करें। एक मुट्ठी नमक पूजा स्थल से वार कर बाहर फेंकें, पूजा नियमित होनी चाहिए।
• इष्ट पर आस्था और विश्वास रखें।
• स्वयं की साधना पर ज्यादा ध्यान दें।
• गलतियों के लिये इष्ट से क्षमा मांगें।
• इष्ट को जल अर्पित करके घर में उसका नित्य छिड़काव करें।
• जिस पानी से घर में पोछा लगता है, उसमें थोड़ा नमक डालें।
• कार्य क्षेत्र पर नित्य शाम को नमक छिड़क कर प्रातः झाडू से साफ करें।
• घर और कार्यक्षेत्र के मुख्य द्वार को साफ रखें।
• हिंदू धर्मावलंबी हैं, तो गुग्गुल की और मुस्लिम धर्मावलम्बी हैं, तो लोबान की धूप दें।
► व्यक्तिगत बाधा निवारण के लिए
• व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम न मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।
• हमारी या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य की ग्रह स्थिति थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हमें निश्चय ही इन उपायों से भरपूर लाभ मिलेगा।
• अपने पूर्वजों की नियमित पूजा करें। प्रति माह अमावस्या को प्रातःकाल ५ गायों को फल खिलाएं।
• गृह बाधा की शांति के लिए पश्चिमाभिमुख होकर क्क नमः शिवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला श्रद्धापूर्वक जप करें।
• यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने व उबले अनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल कर कीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थल पर चढ़ा दें।
• बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूर का तिलक करें।
• पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं, गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारक है।
► बाधा निवारण के प्रमुख स्थल
1. बाला जी (मेहंदीपुर राजस्थान) – भूत प्रेत बाधा निवारण
2. हुसैन टेकरी (राजस्थान) – भूत प्रेत बाधा निवारण
3. पीतांबरा शक्ति पीठ (ततिया) – शत्रु विनाश
4. कात्यायनी शक्ति पीठ (वृंदावन) – कुंआरी कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए
5. शुचींद्रम शक्तिपीठ (कन्याकुमारी) – कुंआरी कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए
6. गुह्येश्वरी देवी (नेपाल) – रोग मुक्ति
7. महाकालेश्वर (उज्जैन) – प्राण रक्षा हेतु
8. श्री विशालाक्षी मंदिर (काशीपीठ) – शत्रु विनाश