घरेलू उपचार

stri ke stano (kuch) ko sankochan karana

स्त्री के स्तनों (को) को संकोचन करना – घरेलू उपचार – stri ke stano (kuch) ko sankochan karana – gharelu upchar

1. कटेरी: छोटी कटेरी -बड़ी कटेरी की जड़े, फदूंरी की जड़, अनार का बकला (छाल) और मौलश्री की छाल को पीसकर स्तनों (कुचों) पर लेप करने से कुच कठोर हो जाते हैं। 2. बरगद: बरगद की नई कोमल बरोहें को लाल-लाल पानी में पीसकर स्तनों पर लेप करने से कुच कठोर हो जाते हैं। 3. […]

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raktalpata ki gharelu chikitsa

रक्ताल्पता की घरेलू चिकित्सा – घरेलू उपचार – raktalpata ki gharelu chikitsa – gharelu upchar

खून में हेमोग्लोबिन या रक्त कण की कमी हो जाने को एनिमिया अर्थात रक्ताल्पता का रोग कहा जाता है। हमारे शरीर की शिराओं और धमनियों में जो खून प्रवाहित होता है उसमें करीब आधा भाग रक्त कणों का होता है। ये रक्तकण आक्सीजन को शरीर के विभिन्न ऊतकों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं।

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rakt alpata ke lakshan

रक्ताल्पता के लक्षण – घरेलू उपचार – rakt alpata ke lakshan – gharelu upchar

शरीर में खून की कमी हो जाने पर रोगी कमजोरी, थकावट, शक्तिहीनता और चक्कर आना जैसे लक्छण बताता है। अन्य लक्छण गिनावें तो चमडी पर समय पूर्व झुर्रियां पड जाना ,याददाश्त की कमी, मामूली काम करने या चलने पर सांस फ़ूल जाना, घाव हो जाने पर उसके ठीक होने या भरने में जरूरत से ज्यादा

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garbh nivarak yog

गर्भनिवारक योग – घरेलू उपचार – garbh nivarak yog – gharelu upchar

परिचय: प्रसवकाल में यदि पेट में दर्द बहुत अधिक हो, बच्चे को जन्म होने में देर हो तो निम्नलिखित प्रयोग करना चाहिए। चिकित्सा: 1. ऊंटकटेरी: ऊंटकटेरी को पीसकर स्त्री के सिर, तालु में लेप करें इससे बच्चे का जन्म तुरंत हो जाता है। बच्चा होने के तुरंत बाद इस दवा को तुरंत निकालकर फेंक देना

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garbhvati stree ko bukhar

गर्भवती स्त्री का बुखार – घरेलू उपचार – garbhvati stree ko bukhar – gharelu upchar

परिचय: गर्भवती स्त्री को ज्वर (बुखार) के अतिरिक्त सूजन, उल्टी, अतिसार, सिर दर्द आदि अनेक कष्ट हो सकते हैं। अत: उनकी चिकित्सा बहुत अधिक सावधानी से करनी चाहिए। यदि गर्भवती स्त्रियों को केवल बुखार की शिकायत हो तो उसकी अग्रलिखित चिकित्सा करनी चाहिए- चिकित्सा- एरण्ड: एरण्ड की जड़, गिलोय, मजीठ, लाल चन्दन, देवदारू तथा पद्याख

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garbhashay ki sujan

गर्भाशय की सूजन – घरेलू उपचार – garbhashay ki sujan – gharelu upchar

कारण: ऋतुकालीन (माहवारी) असावधानियों का कुप्रभाव यदि गर्भाशय को प्रभावित करता है तो उसमें शोथ (सूजन) उत्पन्न हो जाती है। इसमें रोगी महिला को बहुत अधिक कष्ट उठाना पड़ता है। लक्षण: गर्भाशय की सूजन होने पर महिला को पेडू में दर्द और जलन होना सामान्य लक्षण हैं, किसी-किसी को दस्त भी लग सकते हैं तो

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garbhavastha ka bhojan

गर्भावस्था का भोजन – घरेलू उपचार – garbhavastha ka bhojan – gharelu upchar

1. नारंगी: गर्भवती स्त्री को प्रतिदिन दो नारंगी दोपहर में पूरे गर्भकाल में खिलाते रहने से होने वाला शिशु बहुत सुन्दर होता है। 2. मौसमी: मौसमी के फल में कैल्शियम अधिक मात्रा में मिलता है। गर्भवती स्त्रियों और गर्भाशय के बच्चे को शक्ति प्रदान करने के लिए इसका रस पौष्टिक होता है। 3. नारियल: नारियल

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garbhaavastha kee pahachaan

गर्भावस्था की पहचान – घरेलू उपचार – garbhaavastha kee pahachaan – gharelu upchar

परिचय: गर्भधारण हो जाने के बाद औरतों में कुछ खास लक्षण प्रकट होते हैं जिसके आधार पर आसानी से गर्भावस्था की पहचान हो जाती है। लक्षण: सर्वप्रथम यह लक्षण है कि नियमित रूप से आने वाला ऋतुस्राव बंद हो जाता है। यद्यपि यह पूर्ण भरोसे का लक्षण नहीं है क्योंकि गर्भाशय और डिम्बकोष सम्बन्धी अन्य

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garbhpat ke baad ki kashti mein

गर्भपात के बाद के कष्टों में – घरेलू उपचार – garbhpat ke baad ki kashti mein – gharelu upchar

चिकित्सा:1. सोंठ: सोंठ दरदरी कूटकर, खरबूजे के बीज 10 ग्राम, गोखरू दरदरे कूटे 5 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इसमें खाण्ड मिलाकर सुबह-शाम को पीना चाहिए। इससे गर्भपात के बाद होने वाले सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। गर्भपात के बाद के कष्टों में

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garbhpat na ho aur putra utpann ho

गर्भपात न हो और पुत्र उत्पन्न हो – घरेलू उपचार – garbhpat na ho aur putra utpann ho – gharelu upchar

चिकित्सा: 1. गुलाब: लड़की को अपना मासिक-धर्म शुरू होने पर 3 दिन तक लगातार सुबह-शाम सफेद गुलाब के फूलों का गुलकंद बनाकर 125 ग्राम की मात्रा में खाने से और ऐसे ही लगातार 3 दिन में 750 ग्राम गुलकंद खाने से उसको होने वाली संतान लड़के के रूप में होती है। 2. लौकी: जिन महिलाओं

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