घरेलू उपचार

yoni (stri ke janan ang) ko bada karna

योनि (स्त्रियों का जननांग) को बड़ी करना – घरेलू उपचार – yoni (stri ke janan ang) ko bada karna – gharelu upchar

परिचय: जिन महिलाओं की योनि (जननांग) बहुत छोटी होती है उसे सूचिवक्त्रा योनि कहते हैं। योनि के अधिक छोटी होने के कारण स्त्रियों को सहवास (मैथुन क्रिया) के समय बहुत अधिक कष्ट होता है। योनि (जननांग) छोटी होने के कारण कभी-कभी तो संभोग करते समय स्त्रियां बेहोश भी हो जाती हैं। चिकित्सा: 1. ऊंटकटैया: ऊंटकटैया […]

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chechak

चेचक – घरेलू उपचार – chechak – gharelu upchar

परिचय:- जब चेचक का रोग किसी व्यक्ति को हो जाता है तो इस रोग को ठीक होने में 10-15 दिन लग जाते हैं। लेकिन इस रोग में चेहरे पर जो दाग पड़ जाते हैं उसे ठीक होने में लगभग 5-6 महीने का समय लग जाता है। यह रोग अधिकतर बसन्त ऋतु तथा ग्रीष्मकाल में होता

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typhoid

टाइफाइड – घरेलू उपचार – typhoid – gharelu upchar

परिचय- इस रोग के होने का सबसे प्रमुख कारण बैक्टीरिया का संक्रमण है। यह बैक्टीरिया व्यक्ति के शरीर में भोजन नली तथा आंतों में चले जाते हैं और फिर वहां से वे खून में चले जाते हैं और कुछ दिनों के बाद व्यक्ति को रोग ग्रस्त कर देते हैं। इस रोग में रोगी के शरीर

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piliya

पीलिया – घरेलू उपचार – piliya – gharelu upchar

परिचय : रक्त में लाल कणों की आयु 120 दिन होती है। किसी कारण से यदि इनकी आयु कम हो जाये तथा जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लग जायें तो पीलिया होने लगता है। रक्त में बाइलीरविन नाम का एक पीला पदार्थ होता है। यह बाइलीरविन लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता

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ghamoriya

घमौरियां – घरेलू उपचार – ghamoriya – gharelu upchar

परिचय- घमौरी एक प्रकार का चर्मरोग है। यह रोग गर्मियों तथा बरसात के दिनों में व्यक्तियों की त्वचा पर हो जाता है। घमौरी होने का कारण:- यह रोग अधिक गर्मी के कारण तथा शरीर की ठीक प्रकार से सफाई न होने के कारण होता है। यह रोग व्यक्ति को कब्ज बनने के कारण भी हो

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atisaar

अतिसार – घरेलू उपचार – atisaar – gharelu upchar

परिचय: जब शरीर में मौजूद धातुएं कुपित होकर जठराग्नि को मन्द बनाकर खुद मल में घुल जाती है, तब अपानवायु उन्हें नीचे की ओर धकेलती है, जिसके कारण वे गुदा मार्ग से वेग की भांति निकलती हैं तो इसे अतिसार या दस्त का आना कहते हैं। आयुर्वेद के अनुभवियों के मतानुसार दस्त 6 प्रकार का

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garbh dharan (garbhasthapak karana)

गर्भधारण (गर्भ स्थापित करना) – घरेलू उपचार – garbh dharan (garbhasthapak karana) – gharelu upchar

चिकित्सा: 1. मोरछली: मोरछली की छाल का चूर्ण खाने से गर्भ ठहरता है। 2. केसर: केसर और नागकेसर को 4-4 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। इसकी तीन पुड़िया मासिक-धर्म समाप्त होने के तुरंत बाद खाने से गर्भ स्थापित होता है। 3. हंसपदी: हंसपदी को बारीक पीसकर पीने से स्त्री का गर्भ स्थापित

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garbh ka taqatwar hona

गर्भ का ताकतवर होना – घरेलू उपचार – garbh ka taqatwar hona – gharelu upchar

चिकित्सा: 1. तिल: धुले हुए तिल और जौ 20-20 ग्राम की मात्रा में कूटछानकर इसमें लगभग 40 ग्राम की मात्रा में खांड मिला दें। इसकी 5 ग्राम की मात्रा सुबह शहद के साथ सेवन करने से गर्भ सुदृढ़ होता है। 2. पीपल: पीपल की जटा, समुद्रफल और सालम मिश्री सभी को बराबर की मात्रा में

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garbh ki raksha karna

गर्भ की रक्षा करना – घरेलू उपचार – garbh ki raksha karna – gharelu upchar

चिकित्सा: 1. मुलहठी: जिन स्त्रियों को गर्भपात का भय रहता हो उन्हें मुलहठी पंच, तृण, तथा कमल की जड़ का काढ़ा हर महीने एक सप्ताह दूध में औटाकर घी डालकर पीना चाहिए। 2. नीलोफर: नीलोफर, कमल के फूल, कुमुद के फूल तथा मुलहठी का काढ़ा बनाकर दूध में औटाये तथा इसमें मिश्री मिलाकर पिलाने से

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masik-dharm shuru hone ki pehchaan

मासिक-धर्म शुरू होने की पहचान – घरेलू उपचार – masik-dharm shuru hone ki pehchaan – gharelu upchar

परिचय: जब किसी स्त्री को रजोदर्शन (माहवारी) होने को होता है तो उसके पेडु (नाभि) में भारीपन, कमर में दर्द, बेचैनी, थकावट, शरीर का भारी हो जाना, कभी-कभी शरीर का भार कम हो जाना और शौच की इच्छा बार-बार होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। इनमें से यदि कुछ चिन्ह दिखाई पड़े तो समझ लेना

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