प्रेत दोष कुंडली

pret peeda

प्रेत पीड़ा – भूत-प्रेत बाधा : पहचान और निदान – pret peeda – bhoot-pret badha pehchan aur nidan

प्रेत से पीड़ित व्यक्ति चीखता-चिल्लाता है, रोता है और इधर-उधर भागता रहता है। वह किसी का कहा नहीं सुनता। उसकी वाणी कटु हो जाती है। वह खाता-पीता नही हैं और तीव्र स्वर के साथ सांसें लेता है। प्रेत पीड़ा – pret peeda – भूत-प्रेत बाधा : पहचान और निदान – bhoot-pret badha pehchan aur nidan

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bhoot-pret baadha ke yog is prakaar hain

भूत-प्रेत बाधा के योग इस प्रकार हैं – कैसे करें पहचान भूत-प्रेत बाधा की और कैसे करें निदान – bhoot-pret baadha ke yog is prakaar hain – pahchan bhoot-pret badha

पहला योग-कुण्डली के पहले भाव में चन्द्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर ग्रह स्थित हों। इस योग के होने पर जातक या जातिका पर भूत-प्रेत, पिशाच या गन्दी आत्माओं का प्रकोप शीघ्र होता है। यदि गोचर में भी यही स्थिति हो तो अवश्य ऊपरी बाधाएं तंग करती हैं। दूसरा

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kaise jaanen ki kundalee mein pitr ya pret dosh?

कैसे जानें कि कुंडली में पितृ या प्रेत दोष? – किया कराया जादू टोना – kaise jaanen ki kundalee mein pitr ya pret dosh? – kiya karaya jadu tona

कुंडली में पितृदोष का सृजन दो ग्रहों सूर्य व मंगल के पीड़ित होने से होता है क्योंकि सूर्य का संबंध पिता से व मंगल का संबंध रक्त से होता है। सूर्य के लिए पाप ग्रह शनि राहु व केतु माने गए हैं। अतः जब सूर्य का इन ग्रहों के साथ दृष्टि या युति संबंध हो

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kundalee se pitr dosh ka mool rahasy

कुंडली से पितृ दोष का मूल रहस्य – किया कराया, जादू टोना – kundalee se pitr dosh ka mool rahasy – jadu tona kiya karaya ke upay

ज्योतिष में पूर्व जन्म के कर्मों के फलस्वरूप वर्तमान समय में कुंडली में वर्णित ग्रह दिशा प्रदान करते हैं। तभी तो हमारे धर्मशास्त्र सकारात्मक कर्मों को महत्व देते हैं। यदि हमारे कर्म अच्छे होते हैं तो अगले जन्म में ग्रह सकारात्मक परिणाम देते हैं। इसी क्रम में पितृदोष का भी निर्माण होता है। यदि हम

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