udar athava pet par til ka mahatva

उदर अथवा पेट पर तिल का महत्व – शरीर के अंगो पर तिल के होने का महत्त्व – udar athava pet par til ka mahatva – sharir ke ango par til ke hone ka mahatva

उदर अथवा पेट पर तिल का महत्त्व

उदर के बाएँ तरफ़ तिल होना पेट सम्बन्धी रोगों का सूचक है एवं अधिकतम लोगो में पाया गया है की उन्हे शल्य चिकित्सा भी करनी पड़ी है। ऐसे लोग भोजन अधिक नही कर पाते है।

उदर के दाँए तरफ़ तिल होना व्यक्ति के भोजन के प्रति अधिक लगाव को दर्शाता है। साथ ही साथ यह आरामदेह व्यक्ति होते हैं।

नाडी के बीचोबीच तिल का होना नाडी सम्बंधित रोगों तथा लकवे की बीमारी के होने का सूचक है।

नाडी के नीचे तिल यदि हो तो वह व्यक्ति कम आयु में ही मैथुन क्रिया में कमजोर हो जाता है एवं अप्पेंधिक्स और होर्निया जैसे रोगों से पीड़ित होने की संभावना अधिक रहती है।

उदर अथवा पेट पर तिल का महत्व – udar athava pet par til ka mahatva – शरीर के अंगो पर तिल के होने का महत्त्व – sharir ke ango par til ke hone ka mahatva

Tags: , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top