परिचय:
गर्भवती स्त्री को ज्वर (बुखार) के अतिरिक्त सूजन, उल्टी, अतिसार, सिर दर्द आदि अनेक कष्ट हो सकते हैं। अत: उनकी चिकित्सा बहुत अधिक सावधानी से करनी चाहिए। यदि गर्भवती स्त्रियों को केवल बुखार की शिकायत हो तो उसकी अग्रलिखित चिकित्सा करनी चाहिए-
चिकित्सा-
एरण्ड: एरण्ड की जड़, गिलोय, मजीठ, लाल चन्दन, देवदारू तथा पद्याख का काढ़ा पिलाने से गर्भवती स्त्री का ज्वर (बुखार) दूर हो जाता है।
मुलहठी: मुलहठी, लाल चन्दन, खस की जड़, अनन्तमूल तथा कमल के पत्ते- पांचों औषधियों का काढ़ा बनाकर, ठंडा होने पर शहद तथा खांड मिलाकर पिलाने से गर्भिणी का ज्वर (बुखार) दूर हो
जाता है।
झाऊ: झाऊ की छाल, अरलू की छाल, लाल चन्दन, खिरैटी, धनिया, कुड़ा की छाल, नागरमोथा, जवासा, पित्तपापड़ा, अतीस का काढ़ा बनाकर गर्भवती स्त्री को देने से बुखार, अतिसार तथा ग्रहणी रोग नष्ट हो जाते हैं।