एचआईवी व एड्स जैसी बीमारियों के लिए जागरुकता अभियान व रोकथाम के कई उपाय करने के बाद भी हर साल एचआईवी व एड्स के नए मरीज सामने आ रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक तेरह से चौबीस साल की उम्र के लोगों में यह संक्रमण ज्यादा होता है, इसकी सबसे बड़ी वजह है इसकी जानकारी नहीं होना। इस संक्रमण के आपके बच्चे तक पहुंचने से पहले उसे एड्स के बारे में पूरी व सही जानकारी दें। किशोरावस्था आपके बच्चे को सेक्स शिक्षा देने के लिए सही समय होता है, क्योंकि इस दौरान उनके मन में इससे संबंधित कई सवाल होते हैं इसलिए वे आपकी बातों को समझ सकते हैं।
आईए जानें बच्चों को एड्स की जानकारी कैसे दें।
एक अध्ययन में यह पाया गया है, कि कुछ ही बच्चे अपने माता पिता से एड्स व एचआईवी के बारे में चर्चा करते हैं। माता-पिता के लिए बच्चों को एड्स की जानकारी देते समय यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि वह जानकारी पूरी व सही हो, क्योंकि अधूरी जानकारी आपके बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है।
बच्चों के सामने घबराएं नहीं
अभिभावक के लिए बच्चों से एड्स व एचआईवी जैसे मुद्दे पर चर्चा करना आसान नहीं होता है। उन्हें लगता है कि इससे बच्चे पर क्या असर होगा लेकिन आपके द्वारा दी गई जानकारी उसे किसी एड्स जैसी गंभीर बीमारी से बचा सकती है। इसलिए बच्चों को जानकारी देते समय घबराएं नहीं और बच्चे के सभी सवालों का जवाब सहजता से दें।
सही उम्र में दे जानकारी
हो सकता है कि आपको ऐसा लगे कि अभी बच्चे को एड्स के बारे में बताना जल्दबाजी है तो आप गलत सोच रहे हैं। रिसर्च के मुताबिक बच्चे टीवी, मैग्जीन, इंटरनेट, स्कूल व दोस्तों से इसके बारे में सुनने लगते हैं। लगभग 93 % बच्चे दस साल की उम्र में एड्स के बारे में सुन चुके होते हैं।
सही जानकारी दें
अगर आपके पास एड्स से संबंधित जाकारियों का अभाव है तो आप पहले खुद सारी जानकारी हासिल करें और फिर बच्चों को बताएं। बच्चों के लिए इस विषय को विस्तार से जानना बहुत जरुरी है। अपने बच्चों को कुछ जरूरी व्यवहारिक जानकारी दें जैसे कोडंम का इस्तेमाल कैसे करें और एड्स से बचने के अन्य तरीके आदि।
अक्सर बच्चे सेक्स व एड्स की जानकारी अपने अभिभावक से चाहते हैं। ऐसे में यह एक अच्छा मौका है आपके लिए उन्हें सही जानकारी देने का। रिसर्च के मुताबिक बच्चों व अभिभावक के बीच एड्स पर चर्चा से कई फायदे होते हैं।
- बच्चों से एचआईवी व एड्स पर चर्चा करने से सेक्स में देरी की संभावना बढ़ जाती है और अन्य जोखिम कारकों से सुरक्षा होती है।
- एड्स पर चर्चा करने से असुरक्षित सेक्स की संभावना घट जाती है। अगर बच्चों को किशोरावस्था से पहले कोडंम के प्रयोग के बारे में बता दिया जाए तो यह उनके लिए काफी सुरक्षित साबित होता है।
- जो बच्चे अपने माता-पिता से सेक्स पर चर्चा करते हैं वे अपने सेक्स पार्टनर से एड्स व एचआईवी के बारे में बात करने से संकोच नहीं करते हैं जो कि उनके लिए फायदेमंद साबित होता है।