नवजात शिशु माता के दुग्ध पर ही अपना भरण-पोषण करता है| लेकिन कभी-कभी किन्हीं कारणों से माता के स्तनों में पर्याप्त दुग्ध का निर्माण नहीं हो पाता| ऐसे में माता को चिंताएं घेर लेती हैं|
कारण
शरीर स्वस्थ न रहने के कारण किसी-किसी प्रसूता के स्तनों में बहुत कम दूध उतरता है| ऐसी हालत में नवजात शिशु को उचित मात्रा में दूध नहीं मिल पाता| भूखा रहने के कारण शिशु रोता रहता है| इससे उसके स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता| वह कमजोर रह जाता है|
पहचान
जिन माताओं के स्तनों में दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं उतरता, उन्हें मजबूरन डिब्बे या गाय का दूध बच्चे को देना पड़ता है| लेकिन कभी-कभी ये दूध बच्चे मुंह से नहीं लगाते| बच्चा मां का दूध ही पीना चाहता है| तब उसका पेट नहीं भरता तो वह निप्पल को जबड़ों से भींचने लगता है|
नुस्खे
- भुना जीरा आधा चम्मच तथा देशी खांड़ दो चम्मच – दोनों को पीसकर दूध के साथ सेवन करें| शीघ्र ही स्तनों में अधिक दूध उतरने लगेगा|
- 250 ग्राम धुले तिल को कूट-पीसकर रख लें| इसमें से दो चम्मच सुबह तथा दो चम्मच शाम को दूध के साथ लें| इससे दूध की वृद्धि अवश्य होगी|
- नियमित रूप से पका हुआ पपीता खाने से स्तनों में दूध बढ़ जाता है|
- स्तनों पर कुछ दिनों तक एरण्ड के तेल की मालिश करनी चाहिए|
- नीम की थोड़ी-सी छाल को पानी में उबालकर एक सप्ताह तक पिएं| स्तनों में दूध की वृद्धि अवश्य होगी|
- गन्ने की जड़ धोकर सुखा-पीस लें| फिर काली गाजर के हलवे में मिलाकर सेवन करें|
- नियमित रूप से चुकन्दर खाने से माता को अधिक मात्रा में दूध उतरने लगता है|
- सफेद जीरा, सौंफ तथा मिश्री – तीनों का दो चम्मच चूर्ण लेकर तीन खुराक बनाएं| इसका सेवन सुबह, दोपहर और शाम को करें|
- एक कप गाजर का रस प्रतिदिन पीने से स्तन दुग्धमय हो जाते हैं|
- सौंफ, मधु, शतावर तथा विदारीकंद – सभी 5-5 ग्राम लेकर पीस डालें| फिर इसमें से 3 ग्राम चूर्ण कुछ दिनों तक गाय के दूध के साथ लें|
- भोजन के साथ कच्चे प्याज का सेवन करने से भी छाती में दूध की मात्रा बढ़ जाती है|