स्त्री अपनी इच्छा के अनुसार अपने शरीर को बदल नहीं सकती। चुंबन और प्यार के लिए मन ही मन तड़पने के बावजूद वह पुरुष के स्पर्श और पकड़ने का विरोध करती है। उनके नितंबों (बट्स) और कुचों(ब्रेस्ट) में काफी उभार और चर्बी रहती है। ये भाग उसमें लज्जा पैदा करते हैं। कई वय:प्राप्त महिलाएं भी जब कपड़े पहने रहती हैं, पसंद नहीं करतीं कि कोई उन्हें पीछे से देखे।
कोई भी कल्पना कर सकता है कि प्रेम क्षेत्र में प्रवेश करनेवाली नवदीक्षिता किस प्रकार प्रतिरोध कर विजय प्राप्त करके अपने को समर्पित कर देती है। वह पुरुष को अनुमति दे देती है कि वह उसे भर आंख देखे। वह दंभ से अपना प्रदर्शन करती है। वह सौंदर्य के आवरण से ढकी रहती है।