shikshan aur mutramarg

शिश्न और मूत्रमार्ग – पुरूष शरीर के रहस्य – shikshan aur mutramarg – purush sharir ke rahasya

शिश्न एक अत्यधिक पेशीय, अत्यधिक वाहिकामय और संवेदनशील अंग है (क्योंकि इसमें खूब सारी तंत्रिकाएँ और खूब सारा खून होता है)। मूत्रमार्ग पेशाब और वीर्य दोनों ले जाता है हालाँकि अलग-अलग समय पर। शिश्न और इसके सिरे की पेशियाँ इसको खड़ा करने में मदद करती है। यौन क्रिया के दौरान शिश्न फैल जाता है। ऐसा इसकी स्पंजी/छिद्रमय थैलियों में खूब सारा खून आ जाने के कारण होता है। ये थैलियाँ मूत्रमार्ग के दोनों ओर होती है। और शिश्न के सिरे में स्थित पेशिय छल्लों के कारण वीर्यपान समय तक खून इन्हीं में रहता है। खड़े हुए लिंग का कोण भी पेशिय क्रिया के कारण ही होता है।

यौन क्रिया के बाद, ये स्पंजी थैलियाँ ज्यादा खून से खाली हो जातीं हैं और पेशियाँ भी शिथिल होकर अपना सामान्य आकार और नाप धारण कर लेती हैं। यौन क्रिया की क्रियाविधि जनेनन्द्रियों, पुरुष हारमोनों और दिमाग की एक अत्यधिक साझी प्रक्रिया है।

शिश्न और मूत्रमार्ग – shikshan aur mutramarg – पुरूष शरीर के रहस्य – purush sharir ke rahasya

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