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वृषण – पुरूष शरीर के रहस्य – varshan – purush sharir ke rahasya

पुरूष के शरीर के इस प्रजनन अंग को बीज कोष भी कहा जाता है । यह दो छोटी ग्रंथीयॉ है। वृषणथैली के अन्दर स्थित वृषण शरीर के सबसे ठण्डे अंग हैं। वृषण उदर के बाहर होते हैं ताकि शुक्राणु उदरीय गर्मी से बचकर जीवित रहे सकें।

दोनों वृषणों का प्रमुख काम शुक्राणुओं और पुरुष हारमोनों टेस्टोस्टिारान नामक अंतस्त्राव का उत्पादन करना होता है। दोनों वृषणों में बड़ी संख्या (50 करोड प्रतिदिन) में शुक्राणुओ का उत्पादन होता है। एक बार में बाहर आए वीर्य (दो से तीन मि.ली.) में लाखों शुक्राणु होते हैं।

औरतों में रजोनिवृत्ति के बाद अण्डाशय अण्डे बनाना बन्द कर देते हैं परन्तु इसके विपरीत पुरुषों में वृषण जीवन के अन्त तक शुक्राणु बनाते रहते हैं।

वृषण – varshan – पुरूष शरीर के रहस्य – purush sharir ke rahasya

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