घर के अंदर ईशान्य कोण यानी उत्तर-पूर्व कोने को वास्तु के अनुसार गुरु ग्रह का कोना माना जाता है। इसलिए इस कोने की सफाई को सबसे ज्यादा महत्व दिया गया है।वास्तु में इसी कोने को पूजास्थल, उपासना स्थल और प्रधान इष्ट देव स्थापना का योग्य कोण भी माना जाता है, किंतु यहां जल स्थान का होना बहुत ही लाभकारी है। यदि इस कोने में नीचे लिखें वास्तु टिप्स अपनाएं तो घर में सुख-समृद्धि बढऩे के साथ ही घर की सकारात्मक उर्जा में वृद्धि होने लगती है मतलब समृद्धि के लिए घर के ईशान्य कोण के वास्तु का ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी है।
– इस कोने में तांबे के कलश में पानी भरकर उसमें पंच रत्न डाले। कलश का पानी रोज बदले।
– ईशान्य कोण में पारद का शिवलिंग स्थापित कर उसका नियमित रूप से अभिषेक करने से घर में उपस्थित हर तरह के वास्तुदोष का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगता है।
– घर के ईशान कोण में जलस्रोत का होना बहुत शुभ है। आजकल इस कोण में बोरिंग करवाने का चलन है, किंतु वहां जलस्रोत या हौज का होना शास्त्र सम्मत है। यह शिव का स्थान है। इसी कारण इसे गंगा तुल्य माना जाता है।
– यदि इस जलस्रोत में चांदी की छोटी-सी मछली, शंख, मकर, लघु कलश, कल्पवृक्ष और चांदी का ही कूर्म बनाकर रखा जाए और पूजा के बाद जल भरा जाए तो इच्छित परिणाम मिलता है। ईशान के जल-स्रोत को बराबर भरा रखा जाए और उसके जलस्तर को बराबर बनाए रखा जाए तो समृद्धि आती है।
समृद्धि के लिए जरूरी है – samriddhi ke liye jaroori hai – वास्तु और सकारात्मक ऊर्जा – vastu aur sakaratmak oorja