vastu sar nakaratmak aur sakaratmak oorja

वास्तुनासर नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा – वास्तु और सकारात्मक ऊर्जा – vastu sar nakaratmak aur sakaratmak oorja – vastu aur sakaratmak oorja

यहाँ हम आपको कुछ ऐसी बाते बताने जा रहे है जो है तो बहुत कॉमन लेकिन इनकी और हमारा ध्यान नहीं जा
पाता है और जाने अनजाने में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते है और इस कारण हम अवांछित नुकसान उठाते है |

वास्तु दोष : गरीबी के कारक
यदि आपको लाख कोशिशों के बाद भी भाग्य का साथ नहीं मिल पा रहा है तो निश्चित ही आपके घर में कोई वास्तु दोष हो सकता है। वास्तु शास्त्र हमारे आसपास मौजूद नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा के सिद्धांतों पर कार्य करता है। हमारे आसपास फैली नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाए तो हमें हर कार्य में असफलता का मुंह देखना पड़ सकता है। इसके अलावा धन संबंधी परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं।

वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार घर में कहीं भी पानी की बर्बादी होना अशुभ माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में नल टपकता है, दीवारों पर सीलन हो रही है, घर में कई स्थानों पर हमेशा गीला रहता है, घर के आसपास गंदा पानी जमा है तो यह सभी बातें यही इशारा करती है कि आपके घर में आर्थिक संकट खड़ा हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार भी ऐसी परिस्थितियां कुंडली में चंद्र के खराब होने के कारण बनती हैं। चंद्र खराब होने पर आर्थिक तंगी आने की पूरी संभावनाएं होती हैं। पानी और चंद्र का सीधा संबंध माना जाता है। अत: घर में जल का अपव्यय होना चंद्र के अशुभ प्रभाव को बढ़ा देता है। इस प्रकार की परिस्थितियां निश्चित ही आपके परिवार के लिए अशुभ हैं। अत: इनसे बचने का प्रयास करें।

वास्तु दोष दूर करने के उपाय :अमीरी के कारक
सभी चाहते हैं कि उनके घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे। इसके लिए वे कई प्रकार के उपाय भी अपनाते हैं। इन उपायों में धर्म, ज्योतिष और वास्तु से जुड़ी बातें भी शामिल होती हैं। घर में समृद्धि बनाए रखने के लिए सामान्यत: सभी के दरवाजों पर श्रीगणेश या उनका प्रतीक चिन्ह अवश्य होता है। गणेशजी के साथ ही स्वस्तिक और ऊँ बनाने से निश्चित ही सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।

घर के मुख्य द्वार या दरवाजे पर गणेश की चित्र या प्रतिमा लगाना शुरू माना जाता है। प्रथम पूज्य गणेश के नाम के साथ ही हर शुभ कार्य का शुभारंभ होता है। अत: मुख्य दरवाजे पर गणेशजी का होना घर-परिवार के लिए शुभ फल देने वाला होता है। वास्तु के अनुसार गणेशजी को दरवाजे के बीच में ऊपर की ओर लगाना चाहिए। इसके साथ ही प्रतिदिन दरवाजे पर गणेशजी को सिंदूर चढ़ाएं और गणेशजी के दाएं ओर स्वस्तिक तथा बाएं ओर ऊँ का चिन्ह बनाएं।

ऐसा करने पर बहुत जल्द आपको सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। आपके परिवार में सभी सदस्यों को सफलाएं मिलेगी। रुके हुए कार्य समय पर पूर्ण होने लगेंगे। आपके भाग्योदय में आ रही बाधाएं हटने लगेंगी।

व्यापार में सफलता देते हैं यह वास्तु टिप्स
वास्तु शास्त्र के सिद्धांत सिर्फ घर पर ही नहीं बल्कि ऑफिस व दुकान पर भी लागू होते हैं। यदि दुकान या ऑफिस में वास्तु दोष हो तो व्यापार-व्यवसाय में सफलता नहीं मिलती। किस दिशा में बैठकर आप लेन-देन आदि कार्य करते हैं, इसका प्रभाव भी व्यापार में पड़ता है। यदि आप अपने व्यापार-व्यवसाय में सफलता पाना चाहते हैं नीचे लिखी वास्तु टिप्स का उपयोग करें-

वास्तु शास्त्रियों के अनुसार चुंबकीय उत्तर क्षेत्र कुबेर का स्थान माना जाता है जो कि धन वृद्धि के लिए शुभ है। यदि कोई व्यापारिक वार्ता, परामर्श, लेन-देन या कोई बड़ा सौदा करें तो मुख उत्तर की ओर रखें। इससे व्यापार में काफी लाभ होता है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है कि इस ओर चुंबकीय तरंगे विद्यमान रहती हैं जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं सक्रिय रहती हैं और शुद्ध वायु के कारण भी अधिक ऑक्सीजन मिलती है जो मस्तिष्क को सक्रिय करके स्मरण शक्ति बढ़ाती हैं। सक्रियता और स्मरण शक्ति व्यापारिक उन्नति और कार्यों को सफल करते हैं। व्यापारियों के लिए चाहिए कि वे जहां तक हो सके व्यापार आदि में उत्तर दिशा की ओर मुख रखें तथा कैश बॉक्स और महत्वपूर्ण कागज चैक-बुक आदि दाहिनी ओर रखें। इन उपायों से धन लाभ तो होता ही है साथ ही समाज में मान-प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।

वास्तुनासर नकारात्मक और सकारात्मक ऊर्जा – vastu sar nakaratmak aur sakaratmak oorja – वास्तु और सकारात्मक ऊर्जा – vastu aur sakaratmak oorja

 

Tags: , , , , , , , , , , , , , , ,

Leave a Comment

Scroll to Top