bade agni kon ki jameen muft mein bhi mile to na len

बड़े अग्निकोण की जमीन मुफ्त में भी मिले तो ना लें – वास्तुशास्त्र में वर्जित – bade agni kon ki jameen muft mein bhi mile to na len – vastu shastra mein varjit

आज घर बनाना एक स्वप्न के समान ही है। बढ़ती महंगाई, धन की कमी मकान बनाने वाले को सोचने पर मजबूर कर देती है।

ऐसी हालत में यदि कोई मकान बनाता है तो बस यही सोच कर बनाता है कि हम अपने बनाए अशियाने में सुख से रह सके।

कोई भी जमीन कही भी हो तो चौकोर हो या आयताकार हो गोल, तिकोनी, तिरछी, पूर्व से कटी, नैऋत्य में बडी़ या वायव्य में बडी़ हो, अग्निकोण बडा़ हो, ऐसी जमीन मुफ्त में भी मिले तो त्याज्य है।

ईशान यानी पूर्व-उत्तर दिशा वाला भाग बड़ा हो तो चलेगा। जमीन का ढलान पूर्व-उत्तर में हो तो शुभ रहेगा। दक्षिण-पश्चिम में ढलान नहीं होना चाहिए। ईशान कोण में मुख्य दरवाजा ठीक नहीं रहता। ईशान में शौचालय भी बर्बादी का कारण बनता है। स्नान घर हो तो चल जाएगा।

किसी भी सूरत में सीढ़‍ियों के नीचे मंदिर नहीं होना चाहिए। अक्सर जगह के उपयोग को देखते हुए ऐसे अधिकांश घरों में मंदिर बना लेते हैं, जो गलत है। आग्नेय कोण में रसोई घर होना शुभ रहता है। वायव्य में पानी का हौद होना शुभ नहीं, इसी प्रकार के नैऋत्य में बड़ा होना भी शुभ नहीं रहता।

आग्नेय-पश्चिम में शौचालय रखें। बडे़-बुजुर्गों को सोने का स्थान नैऋत्य में होना चाहिए। अविवाहितों को वायव्य में सुलाएं तो विवाह शीघ्र हो। पढा़ई का स्थान उत्तर-पूर्व में हो व पूर्व या उत्तर की तरह मुंह कर बैठे शुभ रहेगा।

सुदृढ़ आर्थिक स्थिति के लिए उत्तर में अलमारी या तिजोरी होना चाहिए। उत्तर दिशा में पानी रखना शुभ होता है। आग्नेय में पानी या बोरिंग नहीं होना चाहिए। कोई भी कमरा तिरछा नहीं होना चाहिए। उत्तर-पूर्व में बगीचा शुभ रहेगा। वहीं दक्षिण-पश्चिम में शुभ नहीं रहता। आग्नेय में देवालय व ईशान में रसोई बर्बादी का कारण बनता है।

बड़े अग्निकोण की जमीन मुफ्त में भी मिले तो ना लें – bade agni kon ki jameen muft mein bhi mile to na len – वास्तुशास्त्र में वर्जित – vastu shastra mein varjit

 

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