मेडिकल साइंस अभी पुनर्जन्म के रहस्य के बारे में कह पाने की स्थिति में नहीं है, लेकिन ज्योतिषशास्त्र अपनी गणनाओं से पुनर्जन्म का योग बताने का दावा करता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि पुनर्जन्म का दावा करने वाले तीन वर्षीय आदि की कुंडली में पुनर्जन्म का योग बन रहा है। यह योग छह साल तक रहेगा यानी उसे छह वर्ष तक प्रारब्ध की जानकारी रहेगी। पुनर्जन्म के लक्षण पांच वर्ष की अवस्था के बाद सांसारिक जीवन में प्रवेश के साथ ही समाप्त होने लगते हैं, इसलिए वह छह वर्ष की अवस्था में आने पर सभी पिछले जन्म की बातें भूलने लगेगा। उन्होंने बताया कि कुंडली के अनुसार उच्च राशि में शुक्र होने की वजह से वह प्रखर का बुद्धि का होगा। बताया कि उसकी कुंडली में सिंह राशि में शनि और कुंभ राशि में सूर्य है, दोनों आमने-सामने भावों में हैं। ऐसे में पुनर्जन्म का योग बन रहा है।
ज्योतिषीय दृष्टि में क्या है पुनर्जन्म
अल्पायु में मौत होने के बाद आत्मा या तो प्रेतात्मा बन जाती है या फिर पुनर्जन्म लेती है। जब किसी व्यक्ति का कोई अधूरा या विशेष कार्य रह जाता है तो वह पुनर्जन्म लेकर पूरा करता है।
मेडिकल साइंस सुलझा लेगा पुनर्जन्म की गुत्थी
सीएमओ डॉ. जेपी शर्मा के मुताबिक मेडिकल साइंस पुनर्जन्म को नहीं मानता, लेकिन उसे खारिज भी नहीं किया है। लगातार हो रहे प्रयोगों से पता चला है कि ब्रह्मांड की 70 प्रतिशत ऊर्जा का अभी पता नहीं चला है। इसी ऊर्जा में रहस्यमयी जानकारी छिपी है। वैज्ञानिकों ने इसे डार्क मैटर नाम दिया है। जिन अग्नि, वायु, पृथ्वी आदि पांच तत्वों की बातें करते हैं उसी तरह एक छठा तत्व भी है, जिसकी जानकारी अभी नहीं हो सकी है। वैज्ञानिकों ने इसे जेल रूप में पाने की संभावना व्यक्त की है। इसी में 70 प्रतिशत ऊर्जा का राज छिपा है।
उन्होंने बताया कि अब तक कई मामलों में पाया गया है कि दुर्घटना से मौत के बाद उस व्यक्ति का पुनर्जन्म हुआ है। डार्क मैटर समझने पर मेडिकल साइंस पुनर्जन्म की गुत्थी को सुलझा लेगा।